Wednesday, December 11, 2013

JLPT Exam Over. JLPT Shiken ha Otsukaresma deshita.

Hey!! My all untouched friends, how are you all? Hope all enjoying with their Healthy Body and Mind. So, You asked about me? Thanks. Me also fine here just living life with my friends, family and my Solitude. Today, I am writing this blog to say my Japanese teachers Thank you!  This year they did a lot of hard work on me so that I can perform better in JLPT exam. On 1 Dec, 2013; I took JLPT exam in Delhi. It was as usual as it was. The important thing for me was that I could meet all my seniors and this thing makes me happy. So, That day, class was changed. That day, the class was same when I took N5 Level. And you know the same boy sat near to me had sit on N5. This time We said Hi! with exchanging smiles. I even don't know his name even. But I like to meet him again as same way no knowing each others name. :)
So, about exam-
      In first paper, Kanji was seemed to me more easier than last time because of more practice. Almost first paper was done well. But some questions were gone wrong. First, I could not recognize Finger (Yubi)'s Kanji. Second, in vocab section the meaning of Niko-Niko suru. It was To Laugh. :(
     In Second Paper, the most terrible paper form me. I lost my time in reading the long comprehensions.When the investigator said that only 5 min had been left, I found that I had not even read last two questions.  I just completed last two questions hurriedly. I did not care whether I was right or wrong. Therefore, I fear that this paper may affect my whole result. :(
   In third Paper, Listing was almost done Ok Ok. But in real sense, I could not concentrate on audios. I could take full enjoyment of whole paper. But I hope this off attitude will not affect on results. :D
                                                                                                           And rest next time,
                                                                                                            Bye- Bye Sayonara.
Minna No Nihongo 2-2 Textbook (with CD)

Thursday, November 14, 2013

Bachpan Ke Din Bhi Kitne Suhaane the!! :)

बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे;
हँसते थे हम भी और सभी को हँसाते थे.
गर गुस्सा हुए हम तो लोग प्यार से मनाते थे
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
वो सूरज को एक टक निगाह से देखना
वो छोटी बातों को बढ़ा कर फैंकना
झूठी कई बातें भी कितने मनमाने थे
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
वो रात को चंदा मामा के साथ चलना
वो मोमबत्तियों से पानी पर पकौड़े तलना
तारों पर शेर भालू भी आते थे
बचपन के दिन कितने सुहाने थे
वो चीटियों की रानी से मिलना
वो कुत्तों की बातें समझना
जानवरों की बातें भी कितने जाने थे
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
वो अक्कड़ – बक्कड़ के खेल
वो गुड्डे – गुड़ियों का मेल
वो ऊँच – नीच की छलांग
वो छुपम – छिपाई में गुमनाम
वो खेल भी कितने मस्ताने थे
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
वो माँ का प्यार, वो दीदी का दुलार
वो पापा का समझाना, वो भईया का डांटना
परिवार में हम सबके प्यारे थे
बचपन के दिन भी कितने सुहाने थे
यार थे, साथ थे, जब दोस्त कितने पास थे
अपनी एक छोटी सी दुनिया में सब अपने ख़ास थे
मस्ती थी, लड़ाई थी, फिर भी संग बैठ के हमने की पढ़ायी थी
यारी उनके याराने थे..
बचपन के दिन कितने सुहाने थे..
फिर वो उम्र आई, बचपन ने ले ली अंगड़ाई
आँख खुली तो जवानी थी छायी
युवा के पथ पर हमने कदम बढ़ायी
मुस्कान हुई खत्म, खुद को अकेला पाया
मतलबी लगी इस दुनिया में बस ये चहेरा ही मुस्कुराया
दोस्ती का प्यार, परिवार का दुलार..
सब माशुका की चाहत में डुबाया
दुनियादारी के इस बहाव में, लक्ष्य है अब डगमगाया
बड़ी होती इस दुनिया में, पहले से ही बचपन मुरझाया
पर फिर भी .....
हर एक दिल में हमने बचपना है पाया
किसी को मिल पाया, किसी ने खोकर पछताया
बचपना ही जवानी को जवाँ, बुढ़ापे में भी रखे हमे जवान है

बचपन के दिन ही हमारी मुस्कान है, दिल का बच्चा ही अपनी शान है.

Friday, October 4, 2013

Now my Dream is the only place where I meet her.

वो दफ़ा भी क्या था जब हम उनसे रोजाना मिलते थे.
मुस्कुराए वो पर दुल्हन की तरह हम खिलते थे. 
दिल तो छुई मुई हो चला था, भाव भी क्या मचलते थे. 
उनसे मुलाकात के तो हर दिन हम तरसते थे. 
नयना ढूंढें उन्हें हर जगह, कभी तो दरसन हो पाएंगे.
प्यासी आखों ये कभी ख़ुशी के पानी पी पाएंगे. 
अब तो वो दूर चली, हमने भी उनसे अलविदा कह दिया. 
सपना ही रह गया वो जगह; जहाँ मिल रहे दो अब दो जिया. 
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Saturday, September 21, 2013

RECAPPING THE PAST @ Lanka Chai ki Dukaan!!!

So, Friends!! Tadaima.... After long time my mood is in fertile condition to write something...
So, there is month of September and I still live in Varanasi.. By the way, there is no use to stay here in Varanasi but something is still here which bond me to stay. Don't know what is that.. May be for Friends, or for Japanese or May be Both!! So, I am talking about this September. This month had come with many changes; changes in situations of Japanese class, changes in myself, changes in Sensei...... So many changes, so many happenings in previous few days... and Yesterday me Nobita San RECAPPING THE PAST MOVEMENT OF PAST.@ Lanka Chai ki Dukaan.
  • Last Feb, I met you at the Japanese Cultural Event, 2013. We had little talk that time.
  • Next, We celebrated Sensei's B'Day party at sensei's home. Tanoshii katta..
  • Sono ato de, on 2 or 3 of March Watashitachi ha Raj Dari and Dev Dari ni ikimashta. Picnic with Nao Sensei, Suzy Sensei and we Gakusei,
  • Sore kara, We went for Ganga Isnaan. Danger.. awww!! demo, sono hi ha totemo yokatta. watashitachi ha takusan hanashi mashita @ Shiva Cafe.
  • The time had come when our officially class had been over. That day was totally ever minding in my mind. We talk to our Nao Sensei about our future. Nao Sensei, soro soro osewa ni narimashita.
  • At day of 25th of April, Nao Sensei had come to my Hostel to meet me. ureshii katta. I hadned over a letter to which I tried  to write in whole night.
  • The day of 26 of May, Suzuki Sensei mo Nihon ni kaeru node, Varanasi kara demashita. We went to eki to see off Sensei.
  • Oh, I forgot to mention Bau Shaab ki Chai and at Lanka again Chai. Thank U Bahu Shaab and Lanka no chai mise. 
  • Oh, The last class.. every one had nakushi mashita.
  • I remember that movement when me and Nobita see off Suzy Sensei, at returning he wept lot.
  • Changes had been coming on June and July and August also.
  • So, September came, I met Reioko San, Shizuka San, Yurika San and Yagi Sensei. Miyagi no Gakusei. Kyonen no Dec ni Varanasi ni kimashita. Ureshii katta.
  • On 3rd September, We met a Japanese group. I enjoyed Origami, Shodo and last discussion.
  • 5th of September @ 12:00am, Happy B'Day  Reioko San. 
  • When they return, the movement again became emotional. Nobita was feeling very bad coz they were returning to Japan. #Sayonaro daik suki na hito.. when we come down form the train, Train has been started but suddenly it stopped and also my Heart wanted to go in that Flash Back carriage. 
  • Again , One week gap at home, I returned to Varanasi. Something missing here right now... Coz Specially to Nao Sesnei, I say" Sorry!" "Gomen na sai!" for not contacting you when I was at home.  
Ima only I have to Ganbari masu........ And I do.. \( `.∀´)/

Wednesday, August 14, 2013

Happy Independence Day...

एक दफा की बात है जब देश में हाहाकार थी;
अंग्रेजों के अत्याचार से देश बड़ी बीमार थी.
कुछ के कमर झुकते थे, कुछ के झुका दिए जाते थे
गर कोई न करता था बर्दाश्त उस अत्याचार को.....
दुनिया से उन्हें मिटा दिए जाते थे.
उन्ही बीच में कुछ फौलाद हुए ऐसे जो झुकाये न झुकते थे मिटाए न मिटते थे.
देश हमारा गैरों का न रहे कभी,
मिट्टी इस मुल्क की उनकी आन बान और शान थी.
कोई रौंदे इस मिट्टी को अगर लड़ने को उनमे जान थी.
मिली आजादी थी हमें;
गैरों की दी न ये दान थी.
फ़क्र है जिस आज़ादी पर वह तो वीरों की कुरबान थी.

ये तो थी फ्लैशबैक की कहानी जो हर बार दोहराई जाती है.
१५ अगस्त और २६ जनवरी को सबको याद दिलाई जाती है.

पर सच बतायें तो अभी भी हम गुलाम हैं.
भ्रष्टाचार की लाचारी से सब हुए परेशान हैं.
लाइलाज बीमारी है ये समाधान अब संभव नही..
क्यूंकि इसी बीमारी से ग्रसित हम भी एक इंसान हैं.
पंचतत्व के इस शरीर पर लालच बड़ी हावी है,
प्यार, पैसा और पढाई उसकी सबसे बड़ी लाचारी है.
कहें तो ये तीन चीजें उसके सबसे बड़े हथियार हैं,
पर कमज़ोर हो रही लगन की प्रेरणा से युवा हुए अब लाचार हैं.
पर लाचारियों पे अब हमे नही है रोना..
क्यूंकि एक कोने में हर दिल ने एक आग ऐसा पारा है,
किसी की चिंगारी भड़क रही है तो कोई बना एक ज्वाला है.
ये लौ एक दिन नया परिवर्तन लाएगी,
अपने तांडव की नाच में सारी गुलामियों का नाश कराएगी.
देश ने नयी आज़ादी की आज की फिर मांग है
सुनो ए मुल्क वालों !! सबकी ये सबसे और पहेले अपने से ,
जारी ये फ़रमान है...
आज़ादी की इस टुकड़ी में शामिल बन्दा ही बस इंसान है.. बन्दा ही बस इंसान है..
बने हम खुद फौलाद बनकर कारवां तो बढ़ता जायेगा..
विकसित ये शशक्त भारत फिर से अज़ाद कहलायेगा...
फिर से आज़ाद कहलायेगा.
JAI HIND JAI BHARAT!! 

Monday, August 5, 2013

अब तो हम बेरोजगार हो गये.... :'(

दोस्तों आखिरी जुलाई का महीना मेरे लिए सबसे यादगार रहेगा. क्यूंकि मुझे उसी महीने में काफी खुशियाँ मिली थीं और महीने का आखिरी आते आते गम भी दे गयी. वो जुलाई का महीना मेरे करियर के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण महीना था. काफी आशाएं लगाये हुए बैठा था. पर निराशा जब हाथ लगी तो दिल टूट सा गया. गलती वैसे मेरी ही थी जिसका खामियाजा मुझे ही भुगतना पड़ा. सपना था जेएनयू में पढाई करने का. सपना सच होता भी लगा. पर जब वहां गया तो उन्होंने मुझे इनकार कर दिया. मेरे किये का फल ये मिला की मैं निराश होकर वापस बनारस आ गया. पर यहाँ भी मुझे निराशा ही हाथ लगी. और अब कुल मिला कर मैं बेरोजगार व्यक्ति हो गया हूँ. मेरे पास एक साल के लिए कोई पढाई नही है. मैं केवल अपने बैक पेपर की तयारी कर सकता हूँ और मुझे अपनी जापानी भाषा को और मजबूत बनाना है. मैंने आगे कोई कंप्यूटर कोर्स करने की सोची है. और अगले साल फिर से बिना किसी दाग लिए हुए जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय में फिर से आना है. और वहां पूरी मेहनत करना है ताकि मैं अपने सेंसेयी, दोस्तों और परिवार वालों के सामने खरा उतरना है. अभी इस साल मेरा टारगेट रहेगा कि सबसे पहेले मैं गणित को पास करके अपना स्नातक पूर्ण करूं और फिर जापानी भाषा पे अपना पूरा शत प्रतिशत दूं. इसके लिए मुझे बस आप सब दोस्तों का दुआ चाहिये की मेरा ये साल खूब ख़ुशी और खाब पढाई के साथ बीते. अगले साल एक स्मार्ट और गम्भीर आदी आप लोगों के सामने आये. 

Sunday, June 23, 2013

खुमारी या प्यार..???

दिल के इस गलियारे में उनका आना जाना रहता है,
शान्त रहती हैं ये महफ़िलें फिर भी दिल गुनगुनाया करता है।
आते हैं जब कभी भी वो इस गलियारे में दो टुक बातें हो जाती हैं,
पर दिल की बात बताने में दिल ये जी चुराता है।
जी तो करता है कि आशियाना बना लूं, इस गलियारे में कहीं...
कैद कर लूं  आपको उसी में वहीँ.
पर देख के आज़ाद पंछी सा आपका खुमार
चहेरे पे हरदम हँसी और दिल में प्यार....
छिपा लेते हैं अपने पागलपन को;
लेकिन चोर ये दिल करता रहता है आपसे प्यार.
कहीं दफ़न न हो जाये ये चाहत मेरी
आसूं भी न बहा पाऊं;
झूठी ये दिल की बातें मेरी
कैसे इन्हें छोड़ पाऊँ।
शिद्दत कहीं कमज़ोर है,
कायनात अब बेचारी है
लाख कोशिशें की हमने पर
                                                    न उतरे, प्यार की ये खुमारी है।।

Tuesday, June 18, 2013

बहुत ही उहापोह है इस लाइफ में भाई...

हेल्लो दोस्तों कैसे हो? क्या है बड़े दिनों बाद वो भी जबरदस्ती खुद को इस पेज पे लिखने के लिए लाया हूँ. साला पूरा का पूरा मेरा टैलेंट ही ख़तम हुआ जा रहा है. कभी मैं चित्रकारी करता था फिर कविता भी करने लगा. और फिर कुछ कुछ लिखने भी लगा. पर आज कल पता नही क्या हो गया इस दिमाग को कि कुछ नया सोच ही नही पा रहा है? तो बात ऐसा है कि अभी मैं सदमे में चल रिया हूँ. सदमा? लगा न अज़ीब! लगना भी चाहिये. असल में बात ये है की इस बंदे का गणित के नाता नही छूट रहा है. न जाने क्यूँ वो मेरे पीछे हाथ दो के बैठी है? पर कभी जब उसे बाहों में लेना चाहूं तो वो बाहों में आती भी नही है. बस मुझे दुःख दे कर के तड़पाती है. चलो round round नही घुमाता हूँ और मैं अपनी औकात में आता हूँ. दरअसल मेरी परेशानी ये है कि मेरा गणित में स्नातक स्तर के आखिरी पड़ाव पे फिर Back लग गया है. मैं सभी विषयों में पास हूँ पर यही आखिरी में गणित में  back लग गया. वैसे प्रयास जारी है हम लोगों का विशेष पुनः परीक्षा करने के लिए. और आशा की किरण भी दिख रही है. पर अब दिक्कत क्या हो रही है? दिक्कत ये है की मैं पढाई नही कर रहा हूँ. अभी मैं यहाँ बनारस में हूँ. किस लिए? असल में मेरा जुलाई में जापानी वाला परीक्षा है दिल्ली में. जिस कारन घर पर  न पढाई कर पाने के बहाने मैं वापस बनारस आ गया था. वैसे ऐसी बात नही की मैं किताब भी उठा के नही देख रहा हूँ. मैं देख रहा हूँ. पर  वो वाली संतुष्टि नही मिल रही जो मिलनी चाहिये. और अगर बात की जाये मेरे  back paper Mathematics कि तो वो तो रत्ती भर भी पढाई नही हो रही है. मुझे इस बात का भी डर लग रहा है की कहीं मुझे एक साल बैठना न पड़ जाये. क्यूंकि ये बैक पेपर शायद अगस्त में हो. जिस कारन रिजल्ट में लेट और फिर किसी अन्य संस्थान या विश्वविद्यालय में दाखिला लेने भी असमर्थ. देखो क्या होता है? मैं हरदम अपनी जिन्दगी को ताने देता रहेता हूँ. कितनी नकारात्मक ऊर्जा भरी है मेरे अन्दर. कभी अच्छा और कुछ मेहनत करने का सोचता ही नही है. इस समय सभी लोग कहीं न कहीं अच्छे संस्थान में चले गये हैं. तो कोई अच्छी सरकारी नौकरी के लिए तैयारी करने जा रहा है. पर हम क्या करेंगे? ये हमे ही नही पता चल रहा है. मेरा विज्ञान से मन हट गया है और मुझे अब जापानी भाषा अच्छी लगने लगी है. और मैं आगे की पढ़ाई इसी जापानी भाषा को ले कर करना चाहता हूँ. पर मुझे अभी भी पता नही क्यूँ ये लग रहा है की मैंने जापानी भाषा इस लिए चुनी क्यूंकि मैं अब विज्ञान संभाल नही पा रहा था. न की इस लिए चुनी क्यूंकि मुझे ये भाषा अच्छी लगती है. उम्र के इस पड़ाव पे उहापोह की ये स्थिति बहुत ही खतरनाक मालूम हो पड़ती है. क्या करें क्या न करें? कुछ समझ नही आता है. बचपन में कुछ और मन था कि बड़े होकर पुलिस में जायेंगे. फिर 8वीं में आया तो मेरा वो सबसे अच्छा समय चल रहा था पढ़ाई में. उस समय मैं प्रोफेसर बनना चाहता था. 10वीं में आने के बाद एक बार एक टीचर की बातें सुन कर मुझे लगा कि मुझे पत्रकार बनना चाहिये. फिर जब मैं 12वीं में आया तो ये विचार किया कि पहले मुझे एक समान्य स्नातक की पढ़ाई करनी चाहिये ताकि मेरे पास एक बैकअप रहे की मैं किसी नौकरी के लिए आवेदन कर सकूँ. पर यहाँ आने के बाद मेरा पढ़ाई में ग्राफ नीचे ही गिरता गया कि अब मैं इस स्थिति आ गया हूँ कि पता नही चल रहा है कि अब मुझे क्या करना चाहिये? किस रास्ते पे जाऊं? क्या मैं जापानी भाषा से अपना आगे का मार्ग प्रशस्त करना ठीक रहेगा? कहीं मैं फिर न डर जाऊं और फिर कहीं का नही रह जाऊं! डर लगता है पर Life is a Race, If you pichding you become BROKEN ANDA. तो लाइफ की रेस ऐसी है की आपको आँख बंद करके चलना पड़ता है. पर जो भी अपनी आँखें खोल के चलता है वही रेस के आखिरी रिबन को छू पाता है. आशा करता हूँ की मैं भी आगे से आँख खोल कर चलूँगा. और माँ की आँख. मैं अपना करियर जापानी भाषा के द्वारा ही बनाऊंगा. 

Friday, May 10, 2013

Now become Graduate but still Bachelor....

Hello guys.. How are you all?  My all Exams are over.. feeling free but yet concerning to the competitive entrance exams. If I conclude my exams, some have gone good and some have gone bad. This time only waiting for results. This Semester I have to appear in 9 exams including Practicals, 3 Back Papers and 3 Main Hons. subject. Mission was so hard and may be I had not prepared as I should. Therefore you know Guys, my Back mathematics exam had gone worst, my Stratigraphy exam had gone bad and my  economic geology exam had gone no so good. Feeling so tense but what should be done now? nothing na! Only waiting for result na...
  These 3 years has now on end. Feeling so bad for friends, Sensei and off course for Varanasi. First time when I came to Varanasi from Lucknow, I felt noisy, polluted and dirty Banaras. I amazed how foreign people come to Varanasi. Whether they come here to see City's noise, dirtiness, pollution, animals and people or they come here for Spiritual mood, Viewing Ganga River, viewing Temples of different gods and Ghats of Ganga. I didn't know. But when I used to live in this city, I started to feel some special attachment for this city and started to enjoy Banarasi Life. Except of BHU, whole city is much noisy and rods are jerking your body. You know a theme is famous for Banaras " Rand, Sand, Saint and steps of Ghats. If you save yourself from these things, you are able to survive in this city."
 Thus I became to survive in this city. How  have these 3 years spent? Don't know. These 3 year, I saw many changes in this city, in my study, in my friends and off course in mine. If I talk about my position in study, I always stood 1st or 2nd rank from behind. Every time I worried about my study especially Mathematics and even still waiting for my back paper exams results. So, this is my study life. Meanwhile, in 2nd year, I entered in Japanese Diploma course. After that my intention changed towards foreign languages. Gradually, I made far distance from my major subjects.
  ❤ 
Our Lovely Sensei!! ❤ ❤ 

Masti wid Friends in last year HOLI! 

Nihon no jugyo no tomodachi!

Last day of 1st Level Exam in Visual art. Snap by Grima!

Minna Baka!! :P
Yu Makino San in Varanasi! Fully Masti!

Masti with Yuki Tabata, our Japanese Friend! 
Therefore, I was hardly passed in my major subjects. So this is my study condition. Let it be here, lets talk about other things. In these 3 years, I thank to GOD for giving me such nice FRIENDS, I thank to GOD for meeting me to SENSEI. Both Sensei, Nao Sensei and Suzuki Sensei are awesome. Throughout my life I remember them. LOVE YOU ALL. ❤ ❤ ❤ ❤ 

Sunday, April 21, 2013

Amma.. Maa.. Mumma.. Mummy... Mother.. ❤❤❤ Love YOU..

By anzana.. I don't know who wrote this poem.. But its heart touching. Love you Mumma.. :)

Friday, April 19, 2013

今さよなら!!


いしょに歩いた道
おもいだす毎日
でも、いまわすれたい
だから、さよならBye Bye。
持った手;
いしょにもってる、
おもいだす毎日
でも、いまわすれたい
だから、さよならBye Bye。
思いだたことば;
覚えて笑う毎日、
でも、今わすれたい、
だから、さよならBye Bye。
ぜんぶことば、
今わすれたい、
だから、さよならBye Bye。

अब शायद अलविदा बोल दूं.

जिस रस्ते पे  कदम मिलते थे;
अब उन रास्तों को छोड़ दूं.
गलियों में थी जिनकी यादें; अब उन गलियों से मोड़ लूं.
हाथ थामे थे जिनके; हाथ उनसे छोड़ लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.
कंधे पे जिनके रखे थे हाथ;
कंधे से कंधा मिलाकर साथ
चलने की थी बात.
अब बात उनको भूल दूं;
अब शायद अलविदा बोल दूं.
मुस्कुराते चहेरे की वो बात,
दिल भी धड़का था जिनके आस,
पर न कह पाने के कारन हूँ निराश
अब ये दिल की बात अपने ही अश्क से बोल दूं,
अब शायद अलविदा बोल दूं.
वो तफ़रीह के पल,
वो दोस्तों के संग हलचल;
वो हंसना, चिल्लाना और अचानक शांत हो जाना;
अब वो पल से शायद रिश्ता तोड़ लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.
सूख गयी हैं ये आखें, आसूं से इनको धो लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.

Thursday, April 4, 2013

いつもきみを思い出す。・゚゚・(>д<)・゚゚・。


あるくときはいつもきみをおもいだす、
自転車をのるときはいつもきみをおもいだす、
みかんをたべるときはいつもきみを思い出す、
「バー(ぶー)ブー」をきくときはいつもきみをおもいだす、
でも、
淋しいときはいつもとてもきみをおもいだす;
しずかなときはいつもとてもきみをおもいだす。

わらいかお、かわいこえ、青春うたぜぶをおもいだす。
ぜんぶを心にちょきんしたい;
でも、
かなしいときはいつもとてもきみをおもいだす。
どしておもいだす?わからない。。
でも、おもいだす、いつもだけおもいだす。
..........................................................................

जब कभी मैं हँसू तो हँसी आपकी याद आती है;
जब कभी मैं चलूँ तो साथ आपकी याद आती है.
साइकिल पे जब मैं बैठूँ, तो वो संगीत मुझे याद आती है,
संतरे को जब मैं खाऊँ, तो वो मिठास मुझे याद आती है.
वो प्यारी आवाज़, बाबू का कहना..
थोड़ी मस्ती, खूब अच्छी, खिखिलाकर वो हँसना.
पर जब दिल को अकेला लगता है,
समां जब शान्त रहता है;
तो मन में आहट आपकी आती है
बस याद आपकी बहुत आती है.
वो हँसता चहेरा, वो प्यारी आवाज़, वो मस्ती के गीत,
हँसता हर एक साज़,
सब याद आती है और चहेरे पे मुस्कान लाती है.
पर, न जाने क्यूँ जब ये दिल रोता है, तो आपकी बहुत याद आती है..
वो मुस्कराती सुबह, तो वो थकान भरी शाम..
आम दिन में कुछ नया; भर दी थी एक मुस्कान..
याद आयें वो दिन और दिल में कहीं बस जायें..
जब दिल के तार बधें आपसे तो..
फिर वो पल याद आयें, हमेशा वो पल याद आयें.

Monday, March 18, 2013

फिर एक सुनहरी किरण आयेगी!! *❀✿❀* *❀✿❀*

Photo taken from Danik Jagran News Paper, Varanasi 12 March, 2013
Japanese  who living in Varanasi pray for people  who died in Tsunami and Earthquake 11 March 2011.

फिर एक सुनहरी किरण आयेगी
आशाओं के फूल खिल जायेंगे
जगमगाते ये आशा फिर से लगेंगे मुस्कुरायेंगे
हर कली में रंग भर जाएगी
फिर एक सुनहरी किरण आयेगी.

विनाश की वो लीला में वे दिल दूसरों के लिए भी रोये थे.
एक दूसरे के आँसू ने ही सबके दुःख धोये थे.
मदद के हर एक सहारे से विकास ने रफ़्तार बनायी थी.
सुनहरी किरण की आशा में हर जिन्दगी मुस्कुरायी थी.

आओ मिलके करें प्रार्थना उन प्राणों के लिए...
जो थे अनजाने.....
हे ईश्वर! उन अनजान प्राणों को शान्ति प्रदान करना,
उनके सगे-सम्बन्धियों के हर कष्ट को दूर करना.
प्रकृति से जान लिया कि वो हमें निडर बनाती है;
कष्ट के कठिनतम पलों में भी सुनहरी किरण दिखलाती है.

Friday, March 8, 2013

Missing My Family.. :'(


How greed I am!
Got myself kept away from them
Who care me and make all fine for me.

I am far away from the way
Where My Mamma stands
Calling me.............
I cry for Her Lap and Kiss.

I am far away from the way
Where My Papa stands
Showing me Path and say
"Never fail yourself"
I cry for His Kiss and Thought.

I am far away from the way
Where My Sisters stand
Helping me All the Way.....
Missing Their Smiles.... :)

I am far away from the way
Where My Brother stands
Teaching me Manners with Care
I cry for him...

Being the part of you all...
Lucky I am, Thank you God.
Now I am far from you all
No one is here who still me care..

Friday, March 1, 2013

ありがとうございます。´✿ ❀(¯`♥´¯)❀ ✿

Hey Guys!! Howz going on? Today, after long era I am trying to write something. You know what these time my mind has been blocked to think new creative ideas. I don't know why? But It hurts me.. :(
I was busy in thinking about Japan and about Japanese. I dream about Sensei, thinking about Sweets Moments every time. Here I want to say that every moments with Sensei is precious and saved in MY HEART throughout in my life. You began to say that you like Sensei. Off course I like Sensei. And it is hard to think about Sayonara from Sensei. But If I have to go ahead in my life, I have to give up my Dearest Things sometimes. This may be my last year in BHU.  And after that I planned to go to Delhi for further studies. In these 3 years, I don't know how, but I begin to love this University, this Place Varanasi and off course Sensei. I want to explain about Our Sensei. Its about one and half year ago when I first time met to Sensei in my class. I had joined my Japanese Diploma class. It was around August month. First time when I saw Sensei, I amazed to see a foreigner who speaks Hindi fluently. And also I like her way of talking. Her accent is much influenced by her Mother Tongue i.e. Japanese.  From first time to this time my things have been changed but bonding between and us become stronger and stronger. I rember when Sensei was trying to understand us about lesson and culture about Japan. Its all about Sensei who make me to Love with Japan. Its all about Sensei, who influenced my career for future. Its all about Sensei who reduced my negative thoughts and made me with full of new energy every time. I like that Every time smile should on her face. So, I beg from Smile never give up your hand with Sensei. And her smile makes me Smile Ever. I want to say more but words are not so good to express my feelings. At last I want to just say that 大好きだよ。

Sunday, January 27, 2013

Bad Result for me!!

Guys!! Result came out and obviously I was not selected for Kizuna Project to go to Japan. That was my dream but I had not done hard work for that. I became already hopeless because I have not Passport and next therefore I had not done hard work for that. Sensei was also unhappy with us. But She made promise to us to perform best in main level 2 examination. I promised to Sensei. I till then I am involved to let down Kanji nad all others. I was sad not for dis selection for Japan But for exam, not performing well in front of Sensei. I have lost Sensei's belief. We always drink tea after classes. Our Sensei was obviously hoping that we would perform better. But we did not do that as should. Ya, when Sensei messaged the result. I felt sad from myself. I had no dare to face Sensei. I knew that Sensei was also sad from our performance. She told to me that is there her Hindi is bad that you all unable to understand what I teach you. No, Sensei's Hindi is so good. Only I had not done hard work for that. Sorry Sensei.. Next time You never Sad from us... Sensei warattiru.... :)

Saturday, January 26, 2013

Happy Republic Day!! ❤•❀.•❤


आज हमारा गणतंत्र दिवस है. इसके लिए सबको बधाईयाँ. खुशकिस्मत हैं हम कि हमने एक आज़ाद और गणतंत्र भारत में जन्म लिया. हमारे सारे स्वतन्त्रता सेनानी ने इस दिन के लिए अपने प्राण को कुर्बान कर दिया था. पर ये आजादी और ये खुशी हमे ऐसे नही मिली. संघर्ष के पल में कईयों का खून मिला. और तो और हमारा अखंड भारत टुकड़ों में बंटा. भारत माता का दायाँ हाथ पकिस्तान में कट जाता है तो भारत माता का आँचल बांग्लादेश में बंट जाता है. और इसमें झेली मासूम जनता के खून से ये संविधान लिखा जाता है. मैं नही कहता कि हमारा संविधान अच्छा नही है. हमारा सविधान दुनिया का सबसे अच्छा सविधान है और मुझे इस पर गर्व है क्यूंकि एक तो ये हमारे महापुरषों की मेहनत का निचोड़ है और इसकी हर एक स्याही में अखंड भारत के सपूतों का खून शामिल है. वैसे इमानदारी से बताऊँ तो मुझे नही पता कि हमारे लिखे संविधान में कितने अनुच्छेद और कितनी धारायें हैं. पर मुझे अपने संविधान पे पूरा भरोसा है. पर यहाँ आज मैं कुछ बातें कहना चहता हूँ.
काश धरम के नाम पे वो सीमा रेखा न होता. तो आज हम सुंदर से लाहौर और वहां की खूबसूरत वादियों का खुली सांस में मजे लिए होते. काश वो लडाई न होता तो आज हम भारत माता के लहेराते आंचल के समुंदर के निकट मजे ले रहे होते. जिहाद के नाम पे अब बस खून खराबा होता है. हर धरम का एक ही मकसद है तो ये लड़ाई अभी तक क्यूँ जारी है? कुछ होता है तो हम एक दूसरे पे आरोप लगाते रहते हैं. तुम कश्मीर मांगते हो! जानते नही की ये हमारी धरती का मुकुट है. अपनी माँ की कोख से अलग हुए तो अपनी माँ की रक्षा नही; उसी की शान को मिटाना चाहते हो! क्यूँ न हम फिर से दोस्ती का हाथ बढ़ाएं और एक हो जाएँ. धरम की किताब में कोई बंटवारा नही तो ये धरती पे लाइन खींच के क्यूँ बंटवारा? आओ इस रेखा को मिटा दे और फिर से प्यार की अलख जगा दें. देश को चलने वालों से हमारी यही गुजारिश है की नफरत के उन फाटक को तोड़ दो और हमे एक दूसरे से जोड़ दो. फिर हम तो पकिस्तान साइकिल से जाते न वीसा का झंझट होता न किसी का डर होता. चलो बात हुई ये हमारे इतिहास की दशा, जिसपे अब परिहास होता है.
पर अब ये एक और बात कहना चहता हूँ की क्या देश का संविधान सब पे सही से लागू हो पा रहा है. नही!! इसी का तो रोना है. पहले हमे इस देश के संविधान में क्या लिखा है? ये ही नही पता है और तो और लागू करने की बात तो दूर की है. मगर अब जैसे की हमारे देश के संविधान में सबको पढ़ने का अधिकार है. ये ही नही पूरा हो पर रहा है. मैं अगर अपने विश्वविद्यालय की बात करूं तो यहाँ ही कई ऐसे बच्चे मिल जाते हैं जो केवल  कैंटीन और मेस में काम करके अपना और अपने परिवार का गुजरा बसर कर रहे हैं. इस ठण्ड में भी आधी आस्तीन का कपडा पहने काम करते हैं. और हम जैसे लोग बस ये लाइन लिख कर अपनी व्यथा ज़ाहिर कर देते और करते कुछ नही. लंका की सड़कों पे एक दिन मैंने गैस वाले गुब्बारे बेचते हुए बच्चों को देखा. वो बच्चा एक मोटरसाइकिल वाले को गुब्बारा बेंच रहा था. लेकिन अचानक उसके हाथ से दो गुब्बारे आसमान में उड़ गये. ये देख की मुझे लगा कि " एक ऐसा ख्वाब लिए मैं इन रंगीन गुब्बारों को बेचता हूँ; एक दिन जब पैसे हो जायेंगे तो मैं भी ऊँचे अपने सपनों का आसमान छु पाउँगा."
 ओह मैं तो अपने ही भावों में लाइन से हट गया था. तो मैं ये बोल रहा था कि क्या ये संविधान सब पे लागू हो रहा है? जवाब है नही. इसी का नुकसान हम सब झेल रहे हैं. आम आदमी यदि कुछ परेशान है तो उसे ये पता नही आगे क्या क्या करे? और गलतीवश वो गलत कर बैठता है और कानून की नज़र में गुनाहगार हो जाता है. चलो मैं फिर से अपने विश्वविद्यालय आता हूँ. यहाँ हमारे बिल्डिंगों की नीव उन गरीब और अनपढ़ मजदूरों के पसीनों से खड़ी हुई है जो अपने बच्चों को केवल पाल सकते हैं. उन्हें स्कूल भेजने के लिए उनके पास इतना पैसा नही होता है. और हम लोग उन्ही के बनाये गये क्लास में पढाई करते हैं. "वो पत्थर तोडती एक बुढ़िया, वो बोझा ढोती नवयावना, वो नयी दुल्हन का अपने कोमल हांथो से सीधे बोझा ढोना. वो झुकी कमर लिए हुए बुड्ढे का मसाला मिलाना तो वो नये दुल्हे का प्लास्टर करना." ये हमारी नीव बनाते हैं और हम हैं जो इनको भूल जाते हैं.
मैं क्या करूं इन लोगों के लिए सिवाए अपना लेख लिखने के बजाय. "एक दिन मैं काबिल हो जाऊंगा और अपनी किस्मत बदल के मैं इस देश का भविष्य बनाऊंगा, तो हाथ बढ़ाओ हाथ मिलाने के लिए, प्यार बढ़ाएं और सबको जताएं कि ये देश हमारा प्यारा है इस मिट्टी की सोंधी महक में हम पले हैं और इसकी रक्षा हम ही करंगे. जय हिंद जय भारत."

Thursday, January 24, 2013

Today Japanese Selection exam!!

今日日本語のしけんがあった。しけんはむずかしでした。しけんがわるいんなった。12にんはしけんはあげました。きょうはとてもさむいもいるんですから、みんな勉強した、わすれたんです。So Sad!! I could not perform well today. Honestly speaking I was stuck in lesson 26 and did only research on that. I was nervous today too much because I had not prepared much as Sensei expected to me. Sorry, Sensei.. I become too lazy even for my future. What will happen to me? I don't know.. I am able to give many excuses for it. But totally, It was my blunder.. I accepted my guilt. Next Time I will do hard...  I said this sentence for calm down to me. but you know even I can not believe myself then what about Sensei! How she can believe me?? Gomen Ne.. 

What is the confusion written on my face??

Hello Guys!! I am sick these time. I have stomach problem as well as skin problem. Its itching problem in in body. Ahh!! Bad na?? I also hate. Therefore I went to S.S.Hospital of my college BHU. Today, too much rush for Dr. Sanjay Singh, skin Specialist. I waited for 30 minutes, and oh! My number had been come. I told my problems. He observed me and wrote down cure. Then he handed over to a Ma'am, I moved to her, she told me "wait there and i am writing medicine." I waited few minutes but meanwhile I observed students under this doctor. Wow, one lady is so beautiful wearing goggles, and punjabi kurta. My God! looking so so... not share here. ok then Ma'am called me, first question from her was-"Could you understand Hindi?" I smiled myself and told her yes.. Then she made me understand the time table of medicines. Oh God! tough to remind... :( but I have to be.. After  that I returned to hostel. Bs itna sa hi hai.. 

Thursday, January 17, 2013

दिल की बात बताना भी गुनाह होता है.

उनकी कशिश मेरे आखों में थी,
उनकी हर अदा का जो मैं दीवाना था.
उनका यूँ आना और मुस्कुराना,
उनसे बातें करना और फिर दिल लगा बैठना
मेरी किस्मत में था.
पर अपने दिल की बातें हमने अपने दिल में ही रक्खी थीं यूँ ही,,
पर अचानक शोर मचा इस दिल में की हमने अपनी बात उनसे कह डाली थी.
सोची वो कि ये भोला है, बातें इसके जाया हैं.
इसने तो बस यूँ ही हमसे दिल लगाया है.
पर जब मैंने अपने सपने की बात उनसे बतायी...
उन्हें हमसे नकारा हो गया..
अब बात नही होता उनसे,
अब तो हमे बेकार समझ लिया..
पर बात समझ आ गयी हमको..
दिल को  इससे दिल्लगी मत करना ...
अपनी जावानी को यूँ बेरुखी मत करना
नही तो चार दिन की चादनी रात के बाद
चिराग भी न मिलेगा उस अंधरे तले..
वो दफा हमने अपना सपना बयां कर दिया था..
बस तबसे वो हमसे ख़फा हो गये..
और हम उनकी जिन्दगी से दफ़ा हो गये..
प्यार का राछस बड़ा बलवान होता है.
दिल की बात बताना भी गुनाह होता है...

Wednesday, January 16, 2013

Arigatou Sensei!!

Today I am happy, you know the reason?? Ok, I am telling you, fist reason is that my Japanese class is started again and today I met Nao Sensei as well Suzuki Sensei after a long time. Oh! you can ask me that what is new? No way how can I tell you so easily? So, I bored you all in detail. First I attend the class in rush, classroom was not opened, so sat on the ground in Art Faculty. Nao Sensei had given us candy for New year. After that enjoyed study. And then after attacking of Mosquitoes, we over the class and then we went for chai at Bau Saheb. Sensei joked to me that Yagi Sensei has not given money for you. But when She gave me 2000 rupees for my work, I totally overwhelmed.  This is the first time when I get paid for my own work. Thanks to Sensei... ❀.•❤•.✿.•❤•❀.•❤•.✿.•❤

Friday, January 11, 2013

Happy New Year to all !!!

Wish you all Happy New Year my friends. I know it is late wish but My wish is from my heart so please accept it. I'll be happy. So friends how was your new year? I suppose it was sweet and Happy. My new year is stared with study. Is it not good? Obviously, it is good but Ah!! you know it is hard to me. so on 31 Dec night, I prepared Statistics at last night and also next morning for afternoon fight. So as usual exam was not so good for me, and I could not do as my best. Yet I enjoyed New year in different way. Totally Good Start for me.
  I want to tell something that I feel about Japan and Japanese people.. Japan is a beautiful country as well as cheering country. I want to go to Japan and feel all the things in real sense. Oh, about Japanese people.. They are closely Heart. They are cheering and also friendly. Many similarities are seen between Indian culture and Japanese culture. Watashi Nihon ha daisuki.. ❀.•❤•.✿.•❤•❀.•❤•.✿.•❤