Sunday, December 27, 2009
Tension
Friday, December 4, 2009
Sunday, November 15, 2009
ग़ज़ल
दो चार बार हम जो कभी हँस-हँसा लिए
सारे जहाँ ने हाथ में पत्थर उठा लिए
रहते हमारे पास तो ये टूटते जरूर
अच्छा किया जो आपने सपने चुरा लिए
चाहा था एक फूल ने तड़पे उसी के पास
हमने खुशी के पाँवों में काँटे चुभा लिए
सुख, जैसे बादलों में नहाती हों बिजलियाँ
दुख, बिजलियों की आग में बादल नहा लिए
जब हो सकी न बात तो हमने यही किया
अपनी गजल के शेर कहीं गुनगुना लिए
अब भी किसी दराज में मिल जाएँगे तुम्हें
वो खत जो तुम्हें दे न सके लिख लिखा लिए।
- कुँअर बेचैन
काबुलीवाला रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानी
मेरी पाँच बरस की लड़की मिनी से घड़ीभर भी बोले बिना नहीं रहा जाता। एक दिन वह सवेरे-सवेरे ही बोली, "बाबूजी, रामदयाल दरबान है न, वह ‘काक’ को ‘कौआ’ कहता है। वह कुछ जानता नहीं न, बाबूजी।" मेरे कुछ कहने से पहले ही उसने दूसरी बात छेड़ दी। "देखो, बाबूजी, भोला कहता है – आकाश में हाथी सूँड से पानी फेंकता है, इसी से वर्षा होती है। अच्छा बाबूजी, भोला झूठ बोलता है, है न?" और फिर वह खेल में लग गई।
मेरा घर सड़क के किनारे है। एक दिन मिनी मेरे कमरे में खेल रही थी। अचानक वह खेल छोड़कर खिड़की के पास दौड़ी गई और बड़े ज़ोर से चिल्लाने लगी, "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले!"
कँधे पर मेवों की झोली लटकाए, हाथ में अँगूर की पिटारी लिए एक लंबा सा काबुली धीमी चाल से सड़क पर जा रहा था। जैसे ही वह मकान की ओर आने लगा, मिनी जान लेकर भीतर भाग गई। उसे डर लगा कि कहीं वह उसे पकड़ न ले जाए। उसके मन में यह बात बैठ गई थी कि काबुलीवाले की झोली के अंदर तलाश करने पर उस जैसे और भी
दो-चार बच्चे मिल सकते हैं।
काबुली ने मुसकराते हुए मुझे सलाम किया। मैंने उससे कुछ सौदा खरीदा। फिर वह बोला, "बाबू साहब, आप की लड़की कहाँ गई?"
मैंने मिनी के मन से डर दूर करने के लिए उसे बुलवा लिया। काबुली ने झोली से किशमिश और बादाम निकालकर मिनी को देना चाहा पर उसने कुछ न लिया। डरकर वह मेरे घुटनों से चिपट गई। काबुली से उसका पहला परिचय इस तरह हुआ। कुछ दिन बाद, किसी ज़रुरी काम से मैं बाहर जा रहा था। देखा कि मिनी काबुली से खूब बातें कर रही है और काबुली मुसकराता हुआ सुन रहा है। मिनी की झोली बादाम-किशमिश से भरी हुई थी। मैंने काबुली को अठन्नी देते हुए कहा, "इसे यह सब क्यों दे दिया? अब मत देना।" फिर मैं बाहर चला गया।
कुछ देर तक काबुली मिनी से बातें करता रहा। जाते समय वह अठन्नी मिनी की झोली में डालता गया। जब मैं घर लौटा तो देखा कि मिनी की माँ काबुली से अठन्नी लेने के कारण उस पर खूब गुस्सा हो रही है।
काबुली प्रतिदिन आता रहा। उसने किशमिश बादाम दे-देकर मिनी के छोटे से ह्रदय पर काफ़ी अधिकार जमा लिया था। दोनों में बहुत-बहुत बातें होतीं और वे खूब हँसते। रहमत काबुली को देखते ही मेरी लड़की हँसती हुई पूछती, "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले! तुम्हारी झोली में क्या है?"
रहमत हँसता हुआ कहता, "हाथी।" फिर वह मिनी से कहता, "तुम ससुराल कब जाओगी?"
इस पर उलटे वह रहमत से पूछती, "तुम ससुराल कब जाओगे?"
रहमत अपना मोटा घूँसा तानकर कहता, "हम ससुर को मारेगा।" इस पर मिनी खूब हँसती।
हर साल सरदियों के अंत में काबुली अपने देश चला जाता। जाने से पहले वह सब लोगों से पैसा वसूल करने में लगा रहता। उसे घर-घर घूमना पड़ता, मगर फिर भी प्रतिदिन वह मिनी से एक बार मिल जाता।
एक दिन सवेरे मैं अपने कमरे में बैठा कुछ काम कर रहा था। ठीक उसी समय सड़क पर बड़े ज़ोर का शोर सुनाई दिया। देखा तो अपने उस रहमत को दो सिपाही बाँधे लिए जा रहे हैं। रहमत के कुर्ते पर खून के दाग हैं और सिपाही के हाथ में खून से सना हुआ छुरा।
कुछ सिपाही से और कुछ रहमत के मुँह से सुना कि हमारे पड़ोस में रहने वाले एक आदमी ने रहमत से एक चादर खरीदी। उसके कुछ रुपए उस पर बाकी थे, जिन्हें देने से उसने इनकार कर दिया था। बस, इसी पर दोनों में बात बढ़ गई, और काबुली ने उसे छुरा मार दिया।
इतने में "काबुलीवाले, काबुलीवाले", कहती हुई मिनी घर से निकल आई। रहमत का चेहरा क्षणभर के लिए खिल उठा। मिनी ने आते ही पूछा, ‘’तुम ससुराल जाओगे?" रहमत ने हँसकर कहा, "हाँ, वहीं तो जा रहा हूँ।"
रहमत को लगा कि मिनी उसके उत्तर से प्रसन्न नहीं हुई। तब उसने घूँसा दिखाकर कहा, "ससुर को मारता पर क्या करुँ, हाथ बँधे हुए हैं।"
छुरा चलाने के अपराध में रहमत को कई साल की सज़ा हो गई।
काबुली का ख्याल धीरे-धीरे मेरे मन से बिलकुल उतर गया और मिनी भी उसे भूल गई।
कई साल बीत गए।
आज मेरी मिनी का विवाह है। लोग आ-जा रहे हैं। मैं अपने कमरे में बैठा हुआ खर्च का हिसाब लिख रहा था। इतने में रहमत सलाम करके एक ओर खड़ा हो गया।
पहले तो मैं उसे पहचान ही न सका। उसके पास न तो झोली थी और न चेहरे पर पहले जैसी खुशी। अंत में उसकी ओर ध्यान से देखकर पहचाना कि यह तो रहमत है।
मैंने पूछा, "क्यों रहमत कब आए?"
"कल ही शाम को जेल से छूटा हूँ," उसने बताया।
मैंने उससे कहा, "आज हमारे घर में एक जरुरी काम है, मैं उसमें लगा हुआ हूँ। आज तुम जाओ, फिर आना।"
वह उदास होकर जाने लगा। दरवाजे़ के पास रुककर बोला, "ज़रा बच्ची को नहीं देख सकता?"
शायद उसे यही विश्वास था कि मिनी अब भी वैसी ही बच्ची बनी हुई है। वह अब भी पहले की तरह "काबुलीवाले, ओ काबुलीवाले" चिल्लाती हुई दौड़ी चली आएगी। उन दोनों की उस पुरानी हँसी और बातचीत में किसी तरह की रुकावट न होगी। मैंने कहा, "आज घर में बहुत काम है। आज उससे मिलना न हो सकेगा।"
वह कुछ उदास हो गया और सलाम करके दरवाज़े से बाहर निकल गया।
मैं सोच ही रहा था कि उसे वापस बुलाऊँ। इतने मे वह स्वयं ही लौट आया और बोला, “'यह थोड़ा सा मेवा बच्ची के लिए लाया था। उसको दे दीजिएगा।“
मैने उसे पैसे देने चाहे पर उसने कहा, 'आपकी बहुत मेहरबानी है बाबू साहब! पैसे रहने दीजिए।' फिर ज़रा ठहरकर बोला, “आपकी जैसी मेरी भी एक बेटी हैं। मैं उसकी याद कर-करके आपकी बच्ची के लिए थोड़ा-सा मेवा ले आया करता हूँ। मैं यहाँ सौदा बेचने नहीं आता।“
उसने अपने कुरते की जेब में हाथ डालकर एक मैला-कुचैला मुड़ा हुआ कागज का टुकड़ा निकला औऱ बड़े जतन से उसकी चारों तह खोलकर दोनो हाथों से उसे फैलाकर मेरी मेज पर रख दिया। देखा कि कागज के उस टुकड़े पर एक नन्हें से हाथ के छोटे-से पंजे की छाप हैं। हाथ में थोड़ी-सी कालिख लगाकर, कागज़ पर उसी की छाप ले ली गई थी। अपनी बेटी इस याद को छाती से लगाकर, रहमत हर साल कलकत्ते के गली-कूचों में सौदा बेचने के लिए आता है।
देखकर मेरी आँखें भर आईं। सबकुछ भूलकर मैने उसी समय मिनी को बाहर बुलाया। विवाह की पूरी पोशाक और गहनें पहने मिनी शरम से सिकुड़ी मेरे पास आकर खड़ी हो गई।
उसे देखकर रहमत काबुली पहले तो सकपका गया। उससे पहले जैसी बातचीत न करते बना। बाद में वह हँसते हुए बोला, “लल्ली! सास के घर जा रही हैं क्या?”
मिनी अब सास का अर्थ समझने लगी थी। मारे शरम के उसका मुँह लाल हो उठा।
मिनी के चले जाने पर एक गहरी साँस भरकर रहमत ज़मीन पर बैठ गया। उसकी समझ में यह बात एकाएक स्पष्ट हो उठी कि उसकी बेटी भी इतने दिनों में बड़ी हो गई होगी। इन आठ वर्षों में उसका क्या हुआ होगा, कौन जाने? वह उसकी याद में खो गया।
मैने कुछ रुपए निकालकर उसके हाथ में रख दिए और कहा, “रहमत! तुम अपनी बेटी के पास देश चले जाओ।“
Kabuliwala by Rabindranath Tagore
Saturday, November 14, 2009
तोता है या फूल?
थाईलैंड में पाए जाने वाले पैरट फ्लावर का वैज्ञानिक नाम है इम्पेशंस स्टैकिना। इसे थाई भाषा में डार्क नोक खेवू कहते हैं। इस फूल को देखकर ऐसा लगता है, मानो किसी नन्हे से तोते को एक पतली डोर से किसी पौधे की शाखा पर टांग दिया गया हो।
यह फूल खुशबूदार नहीं, बल्कि बेहद बदबू भरा होता है। यही वजह है कि बहुत कम कीट इसकी तरफ आकर्षित होते हैं। कीटों के न आने से कारण परागण की प्रक्रिया पर बुरा असर पडता है। यही वजह है कि इस पौधे के बीज कम उत्पन्न होते हैं। और इस तरह यह पौधा होता हैदुर्लभ प्रजाति का पौधा।
वैसे, इसके दुर्लभ होने का दूसरा कारण भी है। तोते जैसे फूल खिलाने वाला यह पौधा केवल नमी वाले वनों में ही उगता है और इसके लिए जरूरत होती है अधिक चूने वाली मिट्टी की। यह पौधा एक मीटर से कम ऊंचा होता है। इसकी मुख्य शाखा करीब आधा इंच मोटी तथा पत्ते दो से अढाई इंच लंबे हो सकते हैं। और इस फूल यानी पैरट फ्लावर के आकार का प्रश्न है, तो इसका आकार होता है तकरीबन दो इंच।
Sunday, November 8, 2009
पंखों पर सवार अलौकिक शक्तियाँ पौराणिक कथाओं में वर्णित रोचक मान्यताएँ
जब पंख बन गए तो उन्होंने इकेरस को ताकीद की कि तुम्हें मध्यम ऊँचाई पर उड़ना होगा। यदि बहुत नीचे उड़े तो समुद्र की नमी से पंख गीले एवं बोझिल हो जाएँगे और यदि बहुत ऊँचे चले गए तो सूर्य की गर्मी मोम को पिघला देगी। अब पिता-पुत्र दोनों ने एक-एक जोड़ी पंख लगाए और भगवान का नाम लेकर उड़ान भर दी।
इकेरस को उड़ने में बड़ा ही आनंद आने लगा। एक तो कैद से छूटने की खुशी, ऊपर से पंछियों की तरह मुक्त गगन में उड़ने का रोमांच। आह्लादित हो वह अपने पिता की चेतावनी को भूल गया तथा ऊँचा, और ऊँचा जाने लगा। पिता ने उसे रोकने की कोशिश भी की, मगर वह नहीं रुका। फिर वही हुआ जिसका डर था। सूर्य के प्रचंड ताप से इकेरस के पंखों का मोम पिघलने लगा और देखते ही देखते वह पंखविहीन हो समुद्र में जा गिरा। दुःख से बेहाल डेडेलस ने अपने पुत्र का शव पानी में से बाहर निकाला और पास ही के एक द्वीप पर उसे दफना दिया। जिस समुद्र में इकेरस डूबा था, उसका नाम इकेरियन सागर और जिस द्वीप पर उसे दफनाया गया, उसका नाम इकेरिया रखा गया।
पक्षियों को जन्म से लेकर मृत्यु तक से जोड़ने वाली मान्यताएँ इंसान ने युगों से पाल रखी हैं। दक्षिण पूर्वी एशिया के बॉर्नियो द्वीप के निवासी मानते हैं कि सृष्टि से पहले मात्र एक विशाल जलराशि थी और उस पर उड़ान भरते दो दिव्य पंछी थे आरा और इरिक। एक दिन उन्होंने पानी में दो अंडे तैरते देखे। आरा ने एक अंडा उठाया और उससे आकाश बनाया। इरिक ने दूसरा अंडा लेकर उससे धरती बना डाली। फिर दोनों ने मिलकर धरती की कुछ मिट्टी उठाकर उससे पहले मानव बनाए और अपने कलरव से उनमें प्राण फूँके।
मिस्र में भी सृष्टि के निर्माण में एक पक्षी की प्रमुख भूमिका मानी गई है। इसके अनुसार जब आदिम जलराशि में से पहले-पहल जमीन उभरकर आई, तो उस पर एक दिव्य पक्षी बैठा हुआ था। इसे बेनू पक्षी कहा गया है। इसी ने संसार रचा और फिर उसमें बसने के लिए देवी-देवताओं के साथ मानवों की भी उत्पत्ति की। कई अन्य देशों में मान्यता है कि सबसे पहले एक आदिम महासागर था, जिसमें आसमान से आए अलौकिक पंछियों ने अंडे दिए और इन अंडों में से ही संसार की उत्पत्ति हुई।
अनेक संस्कृतियों में माना जाता है कि धरती पर हर व्यक्ति की आत्मा का आगमन पक्षी के रूप में होता है। इसी प्रकार यह मान्यता भी है कि मनुष्य की मृत्यु के बाद उसकी आत्मा पंछी के रूप में या किसी पवित्र पंछी के मार्गदर्शन में पृथ्वीलोक से स्वर्गलोक के लिए उड़ान भर देती है। मिस्र में फीनिक्स नामक पक्षी जीवन, मृत्यु और पुनर्जीवन के अनंत चक्र का प्रतीक रहा है। माना जाता था कि यह पक्षी हर 500 साल बाद भस्म हो जाता है और फिर अपनी ही राख से पुनः जीवित हो उठता है।
भारतीय पौराणिक मान्यताओं की बात करें, तो अनेक पक्षियों को देवी-देवताओं का वाहन होने का गौरव प्राप्त है। गरुड़ भगवान विष्णु का, तो हंस ब्रह्मा और सरस्वती का तथा उल्लू लक्ष्मी का वाहन है। कार्तिकेय का वाहन मोर है, तो शनिदेव का वाहन कौआ और कामदेव का वाहन तोता।
हंस को इस लिहाज से भी विशेष सम्मान प्राप्त है कि वह पानी में रहते हुए भी अपने पंख सूखे रख लेता है। इस प्रकार यह संसार में रहते हुए भी इससे निर्लिप्त रहने का संदेश देता है। माना जाता है कि हंस में दूध का दूध और पानी का पानी करने की भी अद्भुत क्षमता है। यह सत्य और असत्य में अंतर कर पाने की क्षमता दर्शाता है। मजेदार बात यह है कि कई अन्य देशों में भी हंस को लेकर रोचक कथाएँ प्रचलित हैं।
आयरलैंड में तो बहुत ही दिलचस्प धारणा है। इसके अनुसार हंस रात को सुंदर स्त्रियों का रूप ले लेते हैं। वे अपना हंस परिधान उतारकर जंगल की झीलों में स्नान करती हैं। यदि कोई पुरुष इनमें से किसी का हंस परिधान चुराकर छुपा दे, तो वह सुंदरी उसके पीछे-पीछे चली आती है और उसकी समर्पित पत्नी की तरह रहने लगती है। वह पक्की गृहस्थन बन जाती है, बच्चे जनती है... लेकिन यदि किसी दिन उसके हाथ वह हंस परिधान लग जाए, तो वह उसे धारण कर पुनः हंस का रूप ले उड़ जाती है और मानव रूप में बिताए गए जीवन की उसकी सारी स्मृतियाँ मिट जाती हैं!
न जाने क्यों इंसान ने जब ईश्वर की कल्पना की, तो उसे आसमान में बैठकर संचालन करने वाला माना। शायद यही कारण है कि आसमान से आती हर चीज में उसने कुछ ईश्वरीय देखा, उसे मानवातीत रिश्तों से जोड़ा। उड़ने की शक्ति वाले हर प्राणी में उसने दैवीय शक्ति को ढूँढा। कोई सौ-सवा सौ साल में इंसान खुद अपने बनाए विमान में उड़ने लगा है। खुद को कुछ-कुछ भगवान भी वह समझने लगा है। बेहतर होगा कि वह इकेरस की गलती ना दोहराए। वह अपनी कल्पना, प्रतिभा और उद्यमशीलता से नई अनुभूतियों, नई उपलब्धियों की मुक्त उड़ान तो उड़े मगर अपने दंभ को इतना ऊँचा ना उड़ने दे कि हकीकत की धधकती ज्वाला उसे भस्म कर डाले।
7 वन्डर्स दुनिया की सैर कर लो ..
ताजमहल, द ग्रेट वॉल, पीसा की झुकती मीनार..! आप सोच रहे होंगे कि दुनिया के इन अद्भुत चीजों का नाम हम क्यों गिना रहे हैं? बच्चो, दरअसल, आज हम न केवल सात देशों के सेवन वन्डर्स के बारे में जानकारी इकट्ठा करेंगे, बल्कि नए साल की शुरुआत में यह भी जानने की कोशिश करेंगे कि दुनिया की सबसे खूबसूरत चीजों के पीछे की कहानी क्या है? अब आप सोच रहे होंगे कि सेवन वन्डर्स में सात अंक का ही प्रयोग क्यों.. पांच या आठ क्यों नहीं! दरअसल, दुनिया के सात आश्चर्यो की लिस्ट बनाने की पहल सबसे पहले ग्रीकवासियों ने ही की थी। वे लोग सात अंक को पूर्णता और समृद्धि का प्रतीक मानते थे, इसलिए उन्होंने सात को ही प्राथमिकता दी। अब आइए जानते हैं, दुनिया के सात प्रमुख देशों के सेवन वन्डर्स कौन-कौन से हैं..
भारत : आर्किटेक्चर का कमाल
1. खूबसूरती का अजूबा ताजमहल : भारत के सेवन वन्डर्स में पहला नाम ताजमहल का आता है। यह उत्तर प्रदेश के आगरा शहर में स्थित है। इसे हाल ही में सेवन वन्डर्स की बनाई गई नई लिस्ट में शामिल किया गया है। इसे सत्रहवीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज महल की याद में बनवाया था। पूरे विश्व में ताजमहल भारत के प्रतीक के रूप में माना जाता है। सफेद संगमरमर से बने ताजमहल की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना कठिन है।
2. अजंता और एलोरा की गुफाएं : पत्थरों को काटकर बनाई गई अजंता और एलोरा की खूबसूरत गुफाएं महाराष्ट्र में स्थित हैं। इसकी गुफाएं बुद्ध, जैन और हिंदू धर्म को प्रदर्शित करते हैं। यह रॉक आर्किटेक्चर (स्थापत्य) का सबसे अच्छा उदाहरण है। एलोरा की गुफाओं में कैलाशनाथ मंदिर को एक ही पत्थर से काटकर बनाया गया है। इसे ईसा-पूर्व दूसरी शताब्दी तथा नौवीं शताब्दी में तैयार किया गया। यूनेस्को ने भी इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित किया है।
3. खजुराहो : खजुराहो मूर्तिकला की एक खास शैली के कारण आम तौर पर जाना जाता है। उत्तर भारतीय नागर मंदिर आर्किटेक्चर का यह सुंदर उदाहरण है।
4. महाबोधि मंदिर : बिहार में स्थित महाबोधि मंदिर बौद्धों का सबसे पवित्र तीर्थस्थल इसलिए माना जाता है, क्योंकि इसी स्थान पर गौतम बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई थी। यह पूर्वी भारत का एक महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल है, जहां वर्ष भर पूरी दुनिया से लाखों पर्यटक आते हैं।
5.कोनार्क सूर्य मंदिर : इस अजूबे को तेरहवीं शताब्दी में तैयार किया गया है। इसमें भगवान सूर्य को सात घोडों वाले रथ पर सवार होकर पृथ्वी के आर-पार जाते हुए दिखाया गया है। यह उडीसा के मंदिर निर्माण-कला को दर्शाता है।
6. हम्पी : विजयनगर की राजधानी हम्पी को सोलहवीं शताब्दी में बनाया गया था। दक्षिण भारतीय मंदिर का यह उत्कृष्ट नमूना है। यहां कई आकर्षक स्पॉट्स हैं, जिनकी वजह से इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट में शामिल किया गया है।
7. गोल्डन टेम्पल : भारत के सात अजूबों में गोल्डन टेम्पल को हाल ही में शामिल किया गया है। यह पंजाब के अमृतशर शहर में स्थित है। यह सिखों का धार्मिक स्थान है। इसे अठारहवीं शताब्दी में महाराजा रंजीत सिंह ने बनाया था। इसकी सबसे बडी खासियत है- इसके गुम्बद को सौ किलोग्राम सोने से कवर किया जाना। यहां सिखों के धार्मिक ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब को रखा गया है।
इटली : यूरोपीय ड्रॉइंग रूम
1. कोलोसियम : यह एक बहुत बडा नाचघर है, जो रोम शहर (इटली) के मध्य में स्थित है। इसे रोमन सम्राट वेस्पेशियन ने खेल प्रतियोगिताओं को आयोजित करने के लिए बनवाया था। इसमें कुल 50 हजार दर्शकों के बैठने की व्यवस्था है।
2. डेविड : यह पूरे विश्व में सबसे अधिक जाना-पहचाना जाने वाला स्टैचू है। यह मजबूत और स्वस्थ शरीर वाले आदमी का प्रतीक है।
3. पीसा की झुकती मीनार : पीसा की झुकती मीनार एक फ्री स्टैंडिंग बेल टॉवर है। यह कला का अद्भुत नमूना है, जिसे बनाने में कुल 174 वर्ष लगे। यह मीनार वर्टिकली खडा होने के बावजूद कुछ झुका-सा प्रतीत होता है।
4.पेंथियन : यह रोम का सबसे प्राचीन बिल्डिंग है। इसे केवल रोम का ही नहीं, बल्कि पूरे विश्व में सबसे सुरक्षित बिल्डिंग माना जाता है। यह प्राचीन रोम के सात ग्रहों के सात देवताओं का मंदिर है। इसे सातवीं शताब्दी में बनाया गया था।
5.पॉम्पेई : यह इटली का सबसे पुराना शहर है। इसे कई बार बसाया और उजाडा गया है, लेकिन इसकी खूबसूरती आज भी देखते ही बनती है।
6.द्दिवेई फाउन्टेन : यहां एक लोकोक्ति है कि यदि इस फव्वारे में तीन सिक्कों को डाला जाता है, तो सुख और समृद्धि आती है। इसलिए पर्यटक यहां आकर इसमें सिक्के जरूर डालते हैं।
7. पियाजा सेन मार्को : इसे यूरोप का ड्रॉइंग रूम भी कहा जाता है। यह वेनिस में एक बहुत बडा हॉलनुमा स्पेस है, जहां इनसानों की आवाज ट्रैफिक की आवाज पर भारी पडती है। स्पेसिफिक वाटर वेज सिस्टम इसकी मुख्य वजह है।
चीन : फोरबिडन सिटी
1. टेरा कोटा वॉरियर्स : यह चीन के जियान शांक्सी प्रोविंस में स्थित है। दरअसल, यह एक अंडरग्राउंड गुफा है, जिसमें लगभग आठ हजार चाइनीज योद्धाओं के विवरण मिलते हैं। इन योद्धाओं को टेरा-कोटा फॉर्म में सजाया गया है। इसकी रचना लगभग 221 बीसी की बताई जाती है।
2. हैंगिंग मोनास्ट्री : यह चीन के माउंट हेंग्शेन, शांक्सी प्रोविंस में स्थित है। लगभग चौदह सौ वर्ष पुराने वन्डर्स को देखने दुनिया भर से लोग यहां आते हैं। यह संरचना इतनी शक्तिशाली है कि वर्ष 1303 में आने वाले भयानक भूकंप से भी यह अप्रभावित रहा।
3. द ग्रेट वॉल : यह चीन के गंसु प्रोविंस में स्थित है। यह एक मैन-मेड आकृति है। इसकी विशाल दीवार लगभग चार हजार मील तक फैली हुई है। इसका निर्माण देश की आंतरिक सुरक्षा को ध्यान में रख कर किया गया था।
4. लेशन बुद्धा : यह विश्व की सबसे बडी बुद्ध की आकृति है, जो शिचुऑन प्रांत, लेशन सिटी में स्थित है। लगभग हजार वर्ष पहले बौद्ध साधुओं ने इसका निर्माण किया था। माना जाता है कि इसके निर्माण में कुल नब्बे साल लगे थे।
5. माउंट वुडैंग : माउंट वुडैंग चीन के वुडैंग, हुबी प्रोविंस में स्थित है। यह एक पवित्र धार्मिक स्थल है, जहां कि कई मंदिर, महल और ब्रीजेज बने हुए हैं। चीन ही नहीं, दुनिया का जाना-माना धार्मिक स्थल होने के साथ-साथ यह मार्शल ऑर्ट का भी एक प्रसिद्ध केंद्र है।
6. शाई बाओ झाई टेम्पल : यह टेम्पल चीन के यांग्जी रिवर के दक्षिणी किनारे पर बसा है। इसमें कुल बारह मंजिल हैं, जो कि एक ही चट्टान पर टिका है। सदियों पुराने माने जाने वाले इस मंदिर के आज भी बेहतर स्थिति में होने का श्रेय इसकी विशेष संरचना वाली खिडकियों को जाता है।
7. फोरबिडन सिटी : यह बीजिंग शहर में स्थित है। इसे विश्व का सबसे पुराना महल कहा जाता है। यह चीन के पांच सौ वर्ष पुराने पॉलिटिकल पॉवर को बखूबी प्रदर्शित करता है। सात लाख मिलियन स्क्वॉयर में फैले इस महल में कुल दस हजार कमरे हैं। इसे स्वर्ग में भगवान का महल भी कहा जाता है।
जापान : एटोमिक बम डम
1. टोकियो टावर : विश्व के ऊंचे टावरों में शुमार टोकियो टावर बिना किसी बाहरी सहायता का स्टील से बना हुआ एक कम्युनिकेशंस टावर है। इसकी ऊंचाई 332.6 मीटर यानी 1091 फीट है। यह जापान के मिंटो-कू, टोकियो के शिबा पार्क में स्थित है। एफिल टावर की तर्ज पर बना टोकियो टावर एक संचार टावर होने के साथ-साथ प्रमुख टूरिस्ट स्पॉट भी है।
2. हिरोशिमा पीस मेमोरियल : यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट का दर्जा प्राप्त करने वाले हिरोशिमा पीस मेमोरियल को एटोमिक बम डम भी कहा जाता है। इसे इसलिए भी जाना जाता है, क्योंकि 6 अगस्त, 1945 को न्यूक्लियर बम विस्फोट होने के बावजूद यह बिल्डिंग नष्ट नहीं हुआ। हिरोशिमा पीस मेमोरियल को विश्व में शांति लाने और सभी न्यूक्लियर हथियार को नष्ट करने के एक प्रतीक के रूप में देखा जाता है।
3. मीयाजी श्राइन : राजा मीयाजी और रानी शोकेन की याद में बनाया गया मीयाजी श्राइन जापान का एक प्रमुख टूरिस्ट प्लेस है। यह श्राइन टोकियो के हाराजूकु स्टेशन के नजदीक स्थित है। गौरतलब है कि वर्ष 1912 में यहां के राजा मीयाजी और वर्ष 1914 में रानी शोकेन की मृत्यु हो गई थी। हालांकि वर्ष 1920 में बनाई गई मीयाजी श्राइन की बिल्डिंग द्वितीय विश्व युद्ध के समय ध्वस्त हो गई थी और बाद में इसे फिर से बनाया गया। मीयाजी श्राइन की 175 एकड जमीन पेड-पौधों से ढंका हुआ है। जापान वासी यहां शांति और साधना की तलाश में आते हैं।
4. कियोमिजू-डेरा : ईस्टर्न क्योटो में स्थित ओटावा-सन कियोमिजू-डेरा जापानियों के पौराणिक बुद्ध-मंदिर में से एक है। यह मंदिर 798 ई. में बनाया गया था। हालांकि वर्तमान बिल्डिंग का निर्माण वर्ष 1633 में किया गया। इस मंदिर के निकट एक झरना भी है, जो इसे और भी मनोरम व आकर्षक बनाता है। कोयोमिजू-डेरा यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शामिल है।
5. टोडाई-जी : प्रसिद्ध बौद्ध मंदिर टोडाई-जी जापान के नारा शहर में स्थित है। टोडाई-जी का अर्थ है ईस्टर्न ग्रेट टेम्पल। इस मंदिर का ग्रेट बुद्धा हॉल विश्व का सबसे बडा लकडी का भवन है। इसका निर्माण सन् 743 में किया गया था। यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट के रूप में शामिल किया है।
6.माउंट फूजी : यह जापान का सबसे ऊंचा पर्वत है। सबसे खास बात यह है कि यह पर्वत पांच झीलों से घिरा हुआ है। यह ज्वालामुखी केंद्र होने के साथ-साथ फूजी-हकोनी-इजू नेशनल पार्क का हिस्सा भी है। माउंट फूजी जापान के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। यहां की सूर्योदय और सूर्यास्त की मनोरम छटा निराली होती है।
7.इतसूकूशिमा श्राइन : यह हातसुकईची शहर के इतसूकूशिमा स्थित आईसलैंड पर स्थित है। इसका पहला श्राइन भवन लगभग छठी शताब्दी में बनाया गया था। इसके बाद अनेक भवन बनाए गए। यहां कुछ भवन पानी के ऊपर बनाए गए हैं। यूनेस्को ने इसे वर्ल्ड हेरिटेज साइट घोषित कि या है।
फ्रांस : ऊंची इमारतों की शान
1. एफिल टावर : पेरिस का सबसे ऊंचा टावर है एफिल। यह पूरे विश्व में सबसे अधिक जानी-पहचानी जाने वाली टावर है। इस टावर के डिजाइनर इंजीनियर गुस्ताव एफिल के नाम पर इसका नाम रखा गया है एफिल। पूरे विश्व में सबसे अधिक संख्या में पर्यटक एफिल टावर को देखने पहुंचते हैं।
2. लॉर्ड्स : बहुत पहले यह पाइरिन्स की तलहटी में स्थित एक छोटा टाउन था। उस समय बडे-बडे किले की स्थापना शहर की शान माने व समझे जाते थे। लॉर्ड्स पत्थर के ढलानों पर बनाया गया है। वर्ष 1858 से इसे क्रिश्चियंस का पवित्र तीर्थस्थान माना जाने लगा है।
3.पैलेस ऑफ वर्सिलीज : वर्सिलीज गांव एक देश था, जहां बडे-बडे किले बनाए गए थे। किंग लुइस चौदहवें के शासन से पहले तक यह पुराने फ्रांस की सत्ता का मुख्य कें द्र था। आज यह पेरिस का उपनगर है।
4. मूसी डी लूव्रे : यह पेरिस में स्थित एक म्यूजियम है। विश्व में सबसे बडे, पुराने और मशहूर आर्ट गैलरी में से एक है लूव्रे म्यूजियम। बहुत पहले यह राजा का महल था। लेकिन आज इस म्यूजियम में महान चित्रकार लियोनार्डो द विंची की पेंटिग्स मोनालिसा, संत एनी, मेडोना ऑफ द रॉक्स, एलेक्जेंड्रो ऑफ एन्टिऑक्स वीनस डी मिलो आदि रखे हुए हैं।
5.आर्क डी ट्राइम्फ : आर्क डी ट्राइम्फ स्मारक पेरिस के चार्ल्स डी गाले के मध्य में खडा है। दरअसल, यह स्मारक नेपोलियन सेना के उन अनजान सिपाहियों की याद में बनाया गया है, जिन्होंने फ्रांस की तरफ से लडाई लडी थी।
6.नोटरे डेम डी पेरिस : नोटरे डेम डी पेरिस को इंग्लिश में नॉट्रे डेम कहते हैं। यह पेरिस का एक बहुत बडा गिरजाघर है, जिसका प्रवेश द्वार है पश्चिम दिशा में। यह फ्रांस की स्थापत्य कला का सबसे बेहतरीन नमूना है। इसे फ्रांस के मशहूर आर्किटेक्ट वॉयलेट-ली-डॅक ने बनाया था।
7.क्लूनी एबी : क्लूनी एबी फ्रांस का एक पुराना चर्च है, जिसकी रचना आज भी दुनिया भर के लोगों को प्रेरित करती हैं।
अमेरिका : स्टैचू ऑफ लिबर्टी
1. गोल्डन गेट ब्रिज : ऑरेंज कलर से बने इस ब्रिज की खासियत यह है कि इसे आप फॉग में भी देख सकते हैं, क्योंकि जब इसे बनाया गया था, तो आर्किटेक्ट ने बहुत बारीकी से इसके रंगों और प्राकृतिक सुंदरता का खयाल रखा था। यह दुनिया का सबसे बेहतरीन ब्रिज इंजीनियरिंग उदाहरण है।
2.टाइम्स स्क्वॉयर : यह मॉस्को के रेड स्क्वॉयर, पेरिस के चैम्प इलिज या लंदन के ट्रैफॅलगर की तरह ही न्यूयार्क का कॉमर्शियल सेंटर है। हालांकि इसे केवल यूएसए का ही नहीं, बल्कि वर्ल्ड का सबसे बेहतरीन कॉमर्शियल सेंटर का दर्जा हासिल है। यहां दर्शकों के लिए आकर्षक ढंग से प्रदर्शित किए गए विज्ञापन और एनिमेशन की सुंदरता अद्भुत है।
3. स्टैचू ऑफ लिबर्टी : वर्ष 1885 में यूनाइटेड स्टेट को यह स्टैचू फ्रांस से मिला था। हड्सन रिवर के मुहाने पर बसे न्यूयार्क हार्बर में खडी इस मूर्ति को देखकर ऐसा लगता है कि मानो जैसे यह आगंतुकों का स्वागत कर रही हो!
4.वॉल्ट डिज्नी वर्ल्ड : लगभग बीस हजार हेक्टेयर में फैला यह दुनिया का सबसे बडा थीम-पार्क रिसॉर्ट है। यहां दुनिया भर के लोग छुट्टियां मनाने आते हैं। यह यूएसए के सेंट्रल फ्लोरिडा में स्थित है।
5. लिंकन मेमोरियल : यह ग्रीक डोरिक टेम्पल का ही एक रूप है। यहां बडे-बडे स्कल्पचर्स दर्शनीय और काफी लुभावने हैं। ये लिंकन के स्कल्पचर हैं और यहां के शिलालेख पर लिंकन के लिखे स्पीच के साथ-साथ मार्टिन लूथर किंग के स्पीच भी देखे जा सकते हैं।
6. ग्रैंड कैनियन : कोलेरेडो रिवर से घिरे हुए ग्रैंड कैनियन की सुंदरता देखते ही बनती है। यह यूएस के स्टेट ऑफ अरिजोना में स्थित है। यहां ग्रैंड कैनियन नेशनल पार्क है, जो कि यूनाइटेड स्टेट का पहला नेशनल पार्क है।
7. गेटवे ऑर्क : इसे फिनिश-अमेरिकन ऑर्किटेक्ट इयरो सारिनेन ने डिजाइन किया था। यह दुनिया का सबसे लम्बा मैन-मेड बिल्डिंग है। इसकी दीवारें स्टेनलेस-स्टील से बनी है। यह सेंट लुइस और मिसौरी का आइकॉनिक इमेज है, जिसे यूएसए के सेवन वन्डर्स में से एक माना गया है।
यूके : अद्भुत स्टोनहेंज
1. विन्डसर कॉस्टल : यह लंदन के विन्डसर शहर में स्थित है। इसका इतिहास करीब-करीब हजार वर्ष पुराना है। यह लंदन का एक खूबसूरत राजसी आवास है। इसे दुनिया का सबसे बडा मैन-मेड किला माना जाता है। यहां मनाए जाने वाले रॉयल फेस्टिवल बेहद शानदार होते हैं। आमतौर पर लोग यहां हॉर्स-शो देखने आते हैं। आम पब्लिक के लिए विन्डसर कॉस्टल का दरवाजा अक्सर मई माह में खुलता है।
2. स्टोनहेंज : दुनिया में मानव द्वारा बनाई गई अद्भुत कृतियों में स्टोनहेंज का नाम भी आता है। इसका इतिहास लगभग हजार वर्ष पुराना माना जाता है। हालांकि इसके निर्माता का नाम ज्ञात नहीं है। वैसे, कहा यह भी जाता है कि इसका निर्माण कुल तीन स्टेज में किया गया है। ब्रिटेन के इस विशाल आइकॉन की सुंदरता सूर्योदय के समय देखते बनती है।
3. द नियोलिथिक हार्ट ऑफ ऑर्कने : यूके के द नियोलिथिक हार्ट ऑफ ऑर्कने की आकृति हर किसी को लुभाती है। यह न केवल यूके के सेवन वन्डर्स में शामिल है, बल्कि यूनेस्को ने भी वर्ष 1999 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया है। पांच हजार वर्ष पुरानी इस आकृति की मदद से आरंभिक मानवीय इतिहास को बखूबी जाना जा सकता है।
4. द सेवन सिस्टर्स : सफेद चट्टानों से निर्मित इस संरचना को मीलों दूर से देखा जा सकता है। दरअसल, इसका कारण इसका सफेद रंग और इसकी प्राकृतिक सुंदरता है। यह आकृति सचमुच वंडरफुल है। माना जाता है कि इसका निर्माण हजारों वर्ष पहले हुआ है।
5. यार्क मिन्सटर : इसे ब्रिटेन ही नहीं, बल्कि नॉर्दन यूरोप का सबसे बडा चर्च माना जाता है। यह चर्च लगभग ढाई सौ साल पुराना है। यूके के यार्क शहर में स्थित इस चर्च के पीछे स्थित शीशे की खिडकी काफी विशाल है, बिल्कुल टेनिस के कोर्ट के जितना।
6. ब्रिटिश म्यूजियम : मानवीय इतिहास, संस्कृति और कला के संग्रह के लिहाज से इसे दुनिया का सबसे बडा म्यूजियम माना जाता है। यहां इजिप्ट की ममीज से लेकर मेसोपोटामिया किंगडम की कलात्मक और साहित्यिक संग्रह भी देखे जा सकते हैं। यह म्यूजियम लंदन के ग्रेट रसैल में स्थित है।
7. द जेंट कॉजवे : जेंट कॉजवे इतना तराशा हुआ है कि इसे देखकर सहसा यह यकीन करना कठिन है कि यह एक प्राकृतिक संरचना है! दरअसल, यह देखने में ऐसा लगता है कि मानो समुद्र में कोई सडक बनी हुई हो! यह लगभग चालीस हजार इंटर-लॉकिंग बैसाल्ट के चट्टानों से बना हुआ है। कुछ चट्टान तो बारह मीटर ऊंचे हैं। यूनेस्को ने इसे वर्ष 1986 में वर्ल्ड हेरिटेज घोषित किया है।
Saturday, November 7, 2009
कहानी दिवाली
उसका दिल दुकानों में घुसने को कर रहा था और मस्तिष्क तंग जेब के यथार्थ का बोध करवा रहा था। ‘दिल की छोड़ दिमाग की सुन’ उसको किसी बजुर्ग का दिया मँत्र अच्छी तरह याद था। दिवाली मनाने को जो-जो जरूरी सामान चाहिए, उसे याद था। ‘रंग-बिरंगे काग़ज की लैसें, एक लक्ष्मी की तस्वीर, थोड़ी-सी मिठाई और पूजा का सामान!’
किसी दुकान में दाखिल होने से पहले उसने जेब में हाथ डाल कर पचास के नोट को टटोल कर निश्चित कर लिया था कि उसकी जेब में नोट है। फिर एक के बाद एक सामान खरीदता रहा, सब कुछ बजट में हो गया था। संतालिस रूपये में सब कुछ ले लिया था उसने। वो प्रसन्नचित घर की ओर चल दिया पर अचानक रास्ते में बैठे एक बूढ़े कुम्हार को देख उसे याद आया कि वो ‘दीये’ खरीदने तो भूल ही गया था।
‘दीये क्या भाव हैं बाबा?’
‘तीन रूपए के छह।’
उसने जेब में हाथ डाल सिक्कों को टटोला।’
‘कुछ पैसे दे दो बाबू जी, सुबह से कुछ नही खाया......’ एक बच्चे ने हाथ फैलाते हुए अपनी नीरस आँखे उसपर जमा दी।
सिक्के जेब से हाथ में आ चुके थे।
‘कितने दीये दूं, साब?’
‘...मैं फिर आऊँगा’ कहते हुए उसने दोनो सिक्के बच्चे की हथेली पर धर दिए और आगे बढ़ गया।
जब दिल सच कहता है तो वो दिमाग की कतई नहीं सुनता। ‘दिल की कब सुननी चाहिए’ उसे सँस्कारों से मिला था।
बच्चा प्रसन्नता से खिलखिला उठा, उसे लगा जैसे एक साथ हजारों दीये जगमगा उठे हों। फिर कोई स्वरचित गीत गुनगुनाते हुए वो अपने घर की राह हो लिया। वो एक लेखक था! अगले पखवाड़े आने वाली दिवाली दुनिया के लिए थी, लोग घी के दीये जलाएंगे। लेखक ने बच्चे को मुस्कान देकर पखवाड़े पहले आज ही दिवाली का आनन्द महसूस कर लिया था।
- रोहित कुमार ‘हैप्पी’
आराम करो
इस डेढ़ छटांक के राशन में भी तोंद बढ़ाए जाते हो।
क्या रक्खा माँस बढ़ाने में, मनहूस, अक्ल से काम करो।
संक्रान्ति-काल की बेला है, मर मिटो, जगत में नाम करो।"
हम बोले, "रहने दो लेक्चर, पुरुषों को मत बदनाम करो।
इस दौड़-धूप में क्या रक्खा, आराम करो, आराम करो।
आराम ज़िन्दगी की कुंजी, इससे न तपेदिक होती है।
आराम सुधा की एक बूंद, तन का दुबलापन खोती है।
आराम शब्द में 'राम' छिपा जो भव-बंधन को खोता है।
आराम शब्द का ज्ञाता तो विरला ही योगी होता है।
इसलिए तुम्हें समझाता हूँ, मेरे अनुभव से काम करो।
ये जीवन, यौवन क्षणभंगुर, आराम करो, आराम करो।
यदि करना ही कुछ पड़ जाए तो अधिक न तुम उत्पात करो।
अपने घर में बैठे-बैठे बस लंबी-लंबी बात करो।
करने-धरने में क्या रक्खा जो रक्खा बात बनाने में।
जो ओठ हिलाने में रस है, वह कभी न हाथ हिलाने में।
तुम मुझसे पूछो बतलाऊँ, है मज़ा मूर्ख कहलाने में।
जीवन-जागृति में क्या रक्खा जो रक्खा है सो जाने में।
मैं यही सोचकर पास अक्ल के, कम ही जाया करता हूँ।
जो बुद्धिमान जन होते हैं, उनसे कतराया करता हूँ।
दीए जलने के पहले ही घर में आ जाया करता हूँ।
जो मिलता है, खा लेता हूँ, चुपके सो जाया करता हूँ।
मेरी गीता में लिखा हुआ, सच्चे योगी जो होते हैं,
वे कम-से-कम बारह घंटे तो बेफ़िक्री से सोते हैं।
अदवायन खिंची खाट में जो पड़ते ही आनंद आता है।
वह सात स्वर्ग, अपवर्ग, मोक्ष से भी ऊँचा उठ जाता है।
जब 'सुख की नींद' कढ़ा तकिया, इस सर के नीचे आता है,
तो सच कहता हूँ इस सर में, इंजन जैसा लग जाता है।
मैं मेल ट्रेन हो जाता हूँ, बुद्धि भी फक-फक करती है।
भावों का रश हो जाता है, कविता सब उमड़ी पड़ती है।
मैं औरों की तो नहीं, बात पहले अपनी ही लेता हूँ।
मैं पड़ा खाट पर बूटों को ऊँटों की उपमा देता हूँ।
मैं खटरागी हूँ मुझको तो खटिया में गीत फूटते हैं।
छत की कड़ियाँ गिनते-गिनते छंदों के बंध टूटते हैं।
मैं इसीलिए तो कहता हूँ मेरे अनुभव से काम करो।
यह खाट बिछा लो आँगन में, लेटो, बैठो, आराम करो।
- गोपालप्रसाद व्यास
Anandpur Battle and Separation of Guru Gobind Singh's Family - The Martyrdom of the Younger Sahibzadas - Part [I]
The brave and fearless Sikhs (army) of Guru Gobind Singh were engaged for months together in a prolonged battle with the Mughal army outside the Fort of Anandpur. Emperor Aurangzeb sent a message on oath that if the Guru and his Sikhs left the fort they would be allowed to go wherever they please. Guru Gobind Singh, had his doubts, on being persuaded by his devoted Sikhs, he reluctantly agreed to leave the fort.
However it happened exactly as the Guru had thought. As soon as the Sikhs came out of the fort the Mughal Army pounced upon them. A fierce battle was fought on the bank of River Sirsa. The brave Sikhs faced the enemy with unparalleled courage. Each one of them killed quite a few Mughal soldiers before sacrificing their lives.
In the dust and chaos of battle, members of the family of Guru Gobind Singh got separated from each other. The two younger Sahibzadas, Sahibzada Zorawar Singh and Sahibzada Fateh Singh, proceeded along with their Grandmother Gujri Ji. They passed through thick forests and difficult terrain. They came across snakes, lions and many other wild animals on the way but the brave Sahibzadas walked on and on fearlessly in the company of their Grandmother, reciting the holy psalms of their Gurus. Gujri Ji related to them the stories from Sikh History. They were thus able to cover the journey comfortably.
The elder two brothers, Sahibzada Ajit Singh and Sahibzada Jujhar Singh, accompanied their father Guru Gobind Singh. After crossing Sirsa River, they stayed for the night at Ropar and reached the Chamkaur Fort early next morning.
After a wearisome journey Mata Gujri Ji along with the two sahibzadas, reached the hut of a Muslim water carrier, Kuma. On seeing Mataji he rushed out and with folded hands, requested Mataji to bless his humble cottage by staying therein. Mataji was pleased with his devotion. Since it was getting dark, she decided to halt there for the night.
Treacherous Gangu
On getting the clue, the old servant, Gangu arrived the next morning. He requested Mataji to go with him to his village. He assured her that the Emperor's officials would not know their whereabouts and they would be safe there.
Mataji with a little reluctant but on his persistent request she agreed. After getting their luggage loaded on a pony, all of them set out for his village. The two Sahibzadas went walking along with their Grand mother. Off and on they would enquire about their father and elder brothers, Sahibzada Ajit Singh and Jujhar Singh.
After walking whole day, they reached village Kheri in the evening. On arrival in Gangu's house Mataji put her bags and baggage in a corner of one of the rooms. Sahibzadas Zorawar Singh and Fateh Singh changed their clothes and set their bedding, recited the holy evening prayers and went to sleep in their grand mother's embrace.
At midnight Gangu quietly stole into their room, looked at Mataji who was resting in her bed with her eyes shut. Presuming that she was fast asleep, he bent down, put his hand into the bag, removed the gold coins and slipped out of the room. Mataji heard the sound of footsteps but she just slept over it and continued resting as usual.
When she got up the next morning she asked Gangu, "Our things are lying scattered about, I hope the outer door was closed. Where are the gold coins?" Gangu just looked blank. Without uttering a word he rushed out of the house and started shouting for help to trace the thief.
Mataji called him in and asked him not make unnecessary fuss. Gangu, however, persisted in saying that the thief must be found out. Mataji tried to pacify him and asked him to keep the gold coins if he so wished. At this Gangu flew into rage, "So you are suspecting me. How ungrateful of you? I have given you refuge and this the reward I get."
Mataji made every effort to persuade him to see reason. Gangu, however, would not listen to any advice. He left his house and headed straight for Police Station at Morinda.
On arrival at Morinda, he went straight to the Kotwal. After paying his respect he told him that he desire to convey some confidential information. On an inquiry by Kotwal, Gangu confide to him in a low voice that Guru Gobind Singh's Mother and his two young Sahibzadas were hiding in his house. The Kotwal was pleased to get this news. He called his constables and sent them along with Gangu to his house to arrest them.
When Gangu and the constables reached Gangu's hose, some neighbours peeped out. The constables ran to the back of the house and were surprised to see Mata Gujri Ji and the two Sahibzadas sitting unconcerned. They apprised them of the Kotwal's orders to arrest them. Mata Gujri Ji embraced the two Sahibzadas who were ready to go. Sahibzadas Zorawar Singh and Fateh Singh and Mata Gujri Ji accompanied the constables.
A small crowed had collected outside the house. Gangu was standing aside with downcast eyes. People were cursing him of his dishonesty and betrayal. They were wondering why the young innocent boys and respected lady were being escorted to the Police Station. The divine looks and the graceful bearing of Mata Ji impressed them.
Friday, August 14, 2009
A College Time Love Story
AKSHAT CHAUHAN --- The bad boy
ANANYA --- The blonde beauty , very nice in her studies
SAMEER AGGARWAL --- The most talented boy of first year
SHRUTI SAXENA --- The girl who thinks that she is the most beautiful girl of the world
RAJAT MISHRA --- A very smart and handsome boy
PRIYA PATHAK --- The don of first year , friend of Ananya
{1} - RAGGING
AUGUST 04,2008
Ek bahut hi garam din . Savere ke dus baje hai . BIT mein aaj bahut chahel pahal chal rahi hai aur ho bhi kyun nahi aaj se college mein naya session jo shuru ho raha hai.
"Ragging is crime" ek ladka jo pehli bar college aaya hai college ke gate par lage poster ko padhta hai . "Akshat, apna saman lekar aao " Akshat ke papa piche se kahte hai . Uske baad ve dono college mein andar jate hai . Akshat 18 saal ka ladka hai ,uska chehra lamba hai ,gaura hai aur jo padhne ke bajay khel kud karne aur dusro ke sath mar pit karne mein jyada maahir hai .
Akshat aur uske papa office mein jakar hostle mein room ke bare mein pata karte hain . Akshat ke papa Mr. Ajay Chauhan Akshat ko ek paper dete hue kahate hai "ye lo is par tumhara room no. likha hai ". Phir ve usko samjhate hue kahate hai "dekho acche ladke bankar rehna ye college hai tumhara school nahi ,agar tumne maar- pitayi ki ya phir college ki taraf se tumhari koi shikayat aayi to ghar vapas bula lunga, theek hai ". Akshat apne papa ki kahi sare batoon ko ansuna kar deta hai aur paper ko shirt ki pocket mein rakhte hue dheere se kahata hai"Haan ji theek hai" . Phir uske papa ghar chale jate hain aur Akshat hostel ki taraf chal deta hai.
Akshat hostel ke gate ke samne akar ruk jata hai aur bade dhyan se hostel ki building ko dekhta hai aur mann mein sochta hai "are ye kahan jail mein dal diya " phir vo hostle mein chala jata hai. Akshat ke liye yahan rehna kisi jail se kum tha hi nahi kyunki uske gaon ki koi gali aisi nahi thi jisme vo na gaya ho ,koi bhi din aisa nahi hota tha jab uski kahi se shikayat na aati ho aur uski class mein to koi aisa ladka tha hi nahi jo usse ek bar pita na ho.
Akshat apne room par chala jata hai ,uske room ka gate khula hua tha ,phir vo room mein jata hai ,room mein pehle se hi ek ladka hai jo thoda savla hai or usne chasma bhi laga rakha hai ,vo ladka thodi der pehle hi aaya hai or ab room mein apna saaman laga raha hai. Akshat us ladke ki taraf koi dhyan nahi deta hai aur apna saman ek jagah rakhkar chup chap bed par let jata hai.
"Suno" Akshat ka room partner use uthate hue kehta hai
"Kya hai ?" Akshat dheere se puchta hai
"Sham ke 5 baje hai aur snacks ka time ho gaya hai. "
Phir ve dono mess mein chale jate hai . Mess mein jakar ve dono chai lete hai aur mess ke ek kone mein rakhi hui chairs per jakar baith jate hai .Ab Akshat chai ki ek ghunt bharta hai aur use lagta hai ki jaise vo seera pi raha ho , vo muh banate hue chai ke glass ko niche rakh deta hai ki tabh1i uska mobile bajne lagta hai voh phone uthata hai aur kehta hai "Mummy Namaste...."
"Namaste....... kaisa hai ?"Mummy ne pucha
"maje mein hun "
"khana to kha liya hoga dopaher mein "
"han "
"aur tera partner aa gaya ?"
"aa gaya "
"naam kya hai uska ?"
"pata nahi "
"are tujhe abhi tak uska naam nahi pata !"
"puchta hun abhi "
Akshat apne partner ki taraf dekhta hai aur puchta hai "Oye!....... tera naam kya hai ?"
"Sameer .........Sameer Aggarwal"
Akshat apne mummy ko uska naam bata deta hai aur kafi der tak bat karta rehta hai .
Ek nayi subah aur college ka dusra din . College mein ek raste se kuch ladke gujar rahe hai sabhi ke sabhi black and white combination mein aur ho bhi kyun nahi ye unke seniors dwara diya hua dress code jo hai . College mein ek jagah sidiyoun par do senior baithe hue hain .Ekdam duble patle jaise ki kitne hi dino se khana na khaya ho,lambai bhi bas dono ke 5 fut ke aas-pas hogi unme se ek ke bal kafi lambe hain aur dusra champu sa hai. First year ke ladke jab sidiyoun ke pass pahunchte hain to apne seniors ko dekhkar sabhi apni aankhein jhuka lete hain jaisa ke seniors dwara kaha gaya hai ki koi bhi first year ka student seniors se eye contact nahi karega ab vo dono un logo se kahte hai "ninty kaun marega ?" , ye sunte hi sare ladke ninty marne ke liye jhuk jate hai vaise aisa koi karna nahi chahata tha par aisa karna unki majburi thi .
Rajat Mishra ek bahut hi handsome aur smart ladka jo white shirt aur black paint pahne hue hai aur college mein jane ko tayyar hai ,Akshat ko aawaj deta hai college mein jane ke liye . Akshat se uski mulakat raat ke waqt hui thi khana khane ke samay . Akshat apne kamre se nikalta hai aur kamre ko lock karta hai uska room partner pehle hi college ja chuka hai . Rajat Akshat ko dekhte hi chonkta hai kyunki Akshat jeans aur t-shirt pahne hue hai jo seniors ne pahane ko mana kiya hai. Rajat ekdam hadbadata hua kehta hai " are tune ye kapde kyun pahan liye tujhe pata nahi seniors ne ye kapde pahanne ko mana kiya hai ".
"To kya hua " Akshat ekdam bephiker hokar kehta hai
" Are bhai vo tujhe pareshan kar denge teri jamke ragging lenge " Rajat pareshan hote hue kehta hai
" Aisa hai tu pareshan mat ho mujhe kuch nahi hone wala......vaise........ ye tere balon ko kya hua ." kyunki Rajat ke bal bahut chote ho gaye hai jabki kal jab Akshat usse mila tha tab uske bal lambe the .
Rajat hanste hue kahata hai "are yaar seniors ne katva diye "
Akshat uski baat par has deta hai aur dono apne college aa jaate hai .
Rajat aur Akshat college mein apni class dhund rahe hain samne se first year ki ladkiyan aa rahi hai sabhi suit salvar pahne hue , ballon mein tel lagaye hue , chunni ko three pin kiye hue , pairon mein bathroom slippers pahane hue, sabhi apne ballon ko acche se bandhe hue hai aur apna sar jhukaye hue hain. Sabhi ladkiyan bahut dari hui hain ki kahin koi senior na pakad le lekin ek ladki jo sabse aage chal rahe hai vo bilkul dari hue nahi hai . Us ladki ka naam Shruti saxena hai , usne apne baal bhi nahi baandhe hue hai , nahi usne baalon mein tel lagaya hai , nahi slippers pahne hue hain , nahi three pin kiye hue hain aur nahi uski aankhein jhuki hui hain. Shruti ek bahut hi attitude wali bahut smart ladki hain aur bahut pareshan hai ki kyun ab tak uski ragging nahi hui?
Shruti apni friend se kahti hai " are Pooja koi senior dikhayi kyun nahi de raha hai ?"
Pooja uski taraf ghoorte hue kehti hai " marvayegi kya ?"
Shruti apne ballon ko theek karte hue kehti hai " mujhe to ye dekhna hai ki seniors kitne smart hai , first year mein to koi ladka dekhne layak hai nahi aur vaise bhi mujhe to ragging dene mein bahut maja aata hai ."
Akshat aur Rajat apni class dhund rahe hai . Shruti Akshat aur Rajat ki taraf dekhti hai aur vo dekhte hi Akshat par flat ho jati hai. Akshat ki najar galti se Shruti par padti hai , Shruti turant apne ballon mein hath nikalti hai lekin Akshat uski taraf dhyan nahi deta aur ekdam apna chera dusri taraf kar leta hai. Shruti is baat par chid jati hai aur mann hi mann kahati hai pehla aisa ladka hai jisne mujhe dekhkar muh pher liya ho. Lekin Rajat bade dhyan se sab ladkiyon ko dekhta hai . Phir sabhi ladkiyan un dono se aage chali jati hai .
Akshat aur Rajat abhi apni class dhund rahe hai . Rajat bahut pareshan hai ki kahin seniors na pakad lein lekin Akshat ko koi tension nahi hai vo mast hokar college mein ghum raha hai aur college ki building ko nihar raha hai . Akshat apne hath mein ek register liye hue hai aur Rajat hand bag liye hue tha jise usne cross karke kandhe par dala tha . Abhi vo dono ghum hi rahe hai ki unhe samne se seniors aate hue dekhte hai , Rajat to seniors ko dekhte hi kaanp jata hai aur darte hue bolta hai " mar gaye......"
Ab seniors un dono ke pass aa jate hai dono dekhte hi unhe wish karne ke liye jukh jate hai . Ek senior Rajat se kehta hai " kyun be... apne aap ko Shaid Kapoor samaj rakha hai kya tune . Kal se bag cross karke mat dalna acche bacchon ki tarah bas kandhe par dal lena . Phir vo Akshat ki taraf dekhte hue kehta hai " apne ko hero samaj rakha hai kya tune dress code mein kyun nahi hai tu aur ye kya hai hath mein kyun liya hai register senior samaj raha hai apne aap ko kal se bag lekar aana . Akshat uski baat par dhyan nahi deta hai bas uski taraf ghoorta rehta hai ispar senior usse kehta hai "ghoor kyun raha hai marega kya mujhe ?"
Akshat uske saval ka koi javab nahi deta bas chup chap khada rehta hai. Rajat herani se Akshat ko dekhta rehta hai aur sochta hai ki kahin senior usse kuch keh na de. Tabhi ek dusra senior Akshat se uska naam puchta hai. Akshat bade attitude se kehta hai "Akshat Chauhan..."
" Chauhan....... accha ... tujhe pata hai is college mein ek Chauhan aur hain "
"Janta haun " Akshat akadte hue kehta hai
Is par ek senior kehta hai " janta hain to aise keh raha hai jaise tera koi rishtedar hai"
"Haan... Aakash Chauhan jo third year mein hai mere bade bhaiya hai "
"kya ? " sabhi seniors ek sat hairaan hote hue kehte hai . Phir unme se ek kehta hai " tu sach keh raha hai"
Akshat bade dheere se kehta hai " Yakein na ho to unhi se puch lo "
Seniors hastein hue kehte hain " Are hamei yakein hai"
Phir seniors kehte hain aacha ab tum dono jao mann lagakar padai karna . Uske bad Akshat aur Rajat vahan se chalein jate hain aur apni class dhundne lagte hain tabhi Akshat Rajat ke kandhe par hat marte hue kehta hai "dekh us room par IT likha hua hai chal ....... shayad class chal rahi hai. "
Class mein ek teacher padha rahein hai Akshat aur Rajat unse andar aane ke liye puchte hain . Teacher unhe aandar aane ke liye keh dete hai . Akshat aur Rajat class mein entry karte hain . Class mein 5 row mein desk lagi hui hai jisme second row mein ladkiyan baithe hui hain . Sabse aage Shruti Saxena aur Pooja baithein hue hai . Akshat kisi ladki ki taraf dhyan nahi deta aur ladkiyon ki row se aage nikal jata hai lekin Rajat bade dhayan sabhi ladkiyon ko dekhta hai aakhir mein uski najar Shruti par padti hai . Rajat Shruti ki taraf smile karta haii to Shruti bhi uski taraf smile karti hai. Pooja Shruti se hairan hote hue puchti hai "Kya tu us ladke ko janti hai?"
Shruti kehti hai "Nahi"
"To phir tune smile kyun ki ?"
"Kyunki usne ki "
"Ye to koi baat nahi hui "
"Dekh mujhe aacha lagta hai jab koi ladka mujhe dekhta hai "
Akshat aur Rajat class mein piche jakar baith jate hain. Thodi der baad teacher class se chale jate hai . Rajat Akshat se kehta hai " mein chahata haun meri college mein koi girlfriend ho "
Akshat uski baat par halki smile dete hue kehta hai " mujhe nahi banani "
"kyun?"
"kaun jhelega "
Rajat uski baat par hanste hue kehta hai" mein to ab tak 8 ko jhel chuka haun aur nauvi ko jhelni ki tayarri hai" phir vo Shruti ki taraf dekhte hue kehta hai " dekh vo rahi aasmani suit wali jo sabse aage baithe hai vo meri nayi girlfriend banage dekh lena "
Tabhi un dono ko joro se aavajein sunne lagti hain Rajat darkar kehta hain " are mar gaye... seniorsss!"
Thodi hi der baad bahut sare seniors class mein ghush jate hain. Jyadatar seniors ladkiyon ke pas jakar baith jate hain. Ek lamba aur patla sa senior jiska naam Surya Srivastav hai class mein entry karte hue kehta hai "kyun ninty kaun marega " . Phir vo sabhi ladko se seats par khade hokar ninty marne ko kehta hai uske kehte hi sabhi juniors apni seats par khade hokar ninty marte hain . Thodi der bad vo sabhi ko niche utarne ko kehta hai.
Ek senior jo thoda mota hai aur dekhne mein me awara sa hai ladkiyon ki line mein sabse piche jata hai jahan par do ladkiyan baithein hai . Dono ki najrein niche hai aur dono hi three pin kiye hue suit pehni hai. Senior unme se ek ldke ko uthne ke liye kehta hai . Ladke ke bal chote hai aur height acche hai. Senior usse puchta hai "tumhara naam kya hai?
"Priya Pathak "
Uske bad senior use utha deta hai aur uske bagal mein baithe hue ladki ko uthne ke liye kehta hai. Vo ladki bahut hi khoobsurat hai , uski aankhein hari hai , lambe kale bal hai. Senior us ladki se uska naam puchta hai ladki kehti hai " Sir mera naam Ananya hai "
Senior usse aur bhi bahut battein puchta hai . Dusre seniors bhi aur ladkiyon ki ragging lete rehte hai . Ek senior ek ladki ke pass jakar kehta hai " Wish wish ni karna kya aur ye kya pehna hai, kal se dhyan rakhna mix match pahen kar aana hai . Suit kisi aur colour ka dupatta kisi aur aur slvar kisi aur colour ka hai , samaj mein aaya ke nahi .
Ek senior ladkiyon ki row ke aage khade hokar kehta hai