Wednesday, May 17, 2017

खो दिया इस चमकते सूरज ने अपनी रौशनी को~!

उनका आना था जिन्दगी में मेरे
आशाओं की चमक से उजला दिया मेरे जीवन को;
साथ जीने मरने की कसम खायी फिर हमने
कभी होंगे न जुदा एक दूजे से....
दूरियां चाहें हो सात समुन्दर पार जितने
पर दिल के गहरायिओं से हम करीब रहेंगे
पर...
करवटें लेने लगी तन्हाई की ये बेताबी
बेवफाई के चादर से छुपा दी मैंने अपनी कमजोरी
तन्हाई की आग ने मुझे दोगला सा बनाया
खायी एक दूजे की कसम को तोड़ दिया
मंजिल तक भी न पहुँच पायी हमारा प्यार
बीच रास्ते में हमने उनसे मुँह मोड़ लिया..

अब सोचता हूँ मैं कि अपने प्यार को किससे परखूँ ??

प्यार क्या है?
ये एक विश्वास की एक कमज़ोर कड़ी है जोकि कभी भी टूट सकती है.
संजोकर रखोगे तो सारा जहां तुम्हारा होगा,
गर कहीं से कड़ी टूटी फिर विश्वास के धागे में गाँठ पड़ना लाजिमी है.

अरे हमने भी किया है प्यार किसी से, अभी भी मुहब्बत उनसे जारी है.
फिर भी जानकर हमने उनसे बेवफाई की...
तन्हाई को अपने पास बुलाया...
उससे अपनी आग को बुझाया...
लगा फिर हमे कि अब दाग लगे इस चुनरी का
कोई मोल नही रह गया...
फिर जब अपनी मुहब्बत से अपने कर्मों का मोल बताया
उसने भी बेमोल इस काफूर को अपनी बाहों से छुड़ाया.

अपने किये का ये अंजाम होना ही था
की उनसे जो बेवफाई जो ...
ये अंजाम होना ही था..
पर अब भी उन्ही से मुहब्बत है...
समझ में जो बात नही आई मुझे वो ये है कि....
प्यार का मोल आखिर किससे करूं,,,
शरीर के मेल को क्या प्यार कहते हैं...
ये फिर दिल के मेल को....
या फिर दोनों ही...
या फिर कहीं कुछ और ही है... इस चीज़ के लिये ज़िम्मेवार....

काफूर को जब उसने अपने बाहों से हटाकर फेंक दिया .....
फिर भी इस दिल में अरमान अभी बाकी हैं....
लग रहा ही ऐसे कि ये बेमोल चुनरी उसकी हाथों में कहीं  फँस सी गयी है...

मुहब्बत उनसे जारी रहेगी....
उन्हें पाने के अपने आखिरी मौके को मत गवाना
ए काफूर की बेमोल चूनर...
न जाने कौन कौन तुझे अभी इस्तेमाल करेंगे....
फिर भी हम तो उन्हीं के लिये जियेंगे और उन्हीं के लिये
मरेंगे......

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