भाई लोग केम छो? सबकी लाइफ बोले तो मस्त चल रही है न? बोले तो एकदम रापचिक स्पीड में. हा हा :) चलो भाई ये तो फार्मेल्टी हो गयी. अब लौट के औकात में आता हूँ और सबको ये बात बताता हूँ कि मैं अभी जिन्दा हूँ. लगभग एक साल के बाद ब्लॉग लिख रहा हूँ. यूँ कहिये जनाब कि बस लौट के आ गये हम. एक साल के इस अंतराल में काफी कुछ बदला. हम बदले, लोग बदले, कुछ से मुलकात हुई तो कुछ अपने साथ हो लिए. हमेशा के लिए. और तो और ये बन्दा पास हो गया गणित में. सपना था दिल्ली आने का वो भी पूरा हो गया. बस अब अच्छे से पढ़ाई करके अच्छा आदी बन कर अपनी मंजिल छूना है.
इसलिए दोस्तों मत समझना कि मैं भूल गया तुम सबका रस्ता
भागम भाग में अपना भी एक चैन का रस्ता बनाने में व्यस्त हूँ.
विश्वास की कंक्रीट से इसे मजबूती देने में व्यस्त हूँ.
गर कहीं मिला इस रस्ते पे कहीं गड्ढा तो
प्यार के मिट्टी से इसे पाट देना.
गर कहीं लगे अविश्वास कि ठोकर
गिरने नही दूंगा विश्वास कि ये बुनियाद.
उस ठोकर को कहीं विश्वास के पास लगा देना.
मुस्कराहट से इस विश्वास को हमेशा ही बनाये रखना.
पर डर लगता है कि कहीं खुद का विश्वास बनाने में
पथिकों का विश्वास न खो जाऊं.
खुद के बनाये इस रस्ते में खुद को ही भूला पथिक कहलाऊं.
प्रार्थना है अपने पथिकों से कि
इस पथिक का रस्ता मत भूल जाना
गर भूल गये ये रस्ता तो
गड्ढो में कौन डालेगा प्यार कि मिट्टी?
कौन किनारे लगाएगा अविश्वास कि ठोकर को
विश्वास के किनारे?
तुम पथिकों कि बदौलत ये रस्ता अब भी गुलज़ार है.
प्यार की सोंधी माटी से इस रस्ते पर;
मंजिल मुझे नज़र आ रही है.
विश्वास कि मुस्कान के दम पर पकड़ लूँगा मैं.
क्यूंकि अभी जिन्दा हूँ मैं. :)
शेष फ़िर...........
3 comments:
Lovely junior.....
Nice sir ji.....
Nice sir ji.....
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