Friday, April 19, 2013

अब शायद अलविदा बोल दूं.

जिस रस्ते पे  कदम मिलते थे;
अब उन रास्तों को छोड़ दूं.
गलियों में थी जिनकी यादें; अब उन गलियों से मोड़ लूं.
हाथ थामे थे जिनके; हाथ उनसे छोड़ लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.
कंधे पे जिनके रखे थे हाथ;
कंधे से कंधा मिलाकर साथ
चलने की थी बात.
अब बात उनको भूल दूं;
अब शायद अलविदा बोल दूं.
मुस्कुराते चहेरे की वो बात,
दिल भी धड़का था जिनके आस,
पर न कह पाने के कारन हूँ निराश
अब ये दिल की बात अपने ही अश्क से बोल दूं,
अब शायद अलविदा बोल दूं.
वो तफ़रीह के पल,
वो दोस्तों के संग हलचल;
वो हंसना, चिल्लाना और अचानक शांत हो जाना;
अब वो पल से शायद रिश्ता तोड़ लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.
सूख गयी हैं ये आखें, आसूं से इनको धो लूं.
अब शायद अलविदा बोल दूं.