Friday, April 2, 2010

आह! अन्त भला तो EVERY THING WELL.

रुको जरा एक लम्बी और गहरी साँस ले लूँ।






Ok, हाँ तो मेरे भाई लोग, तो आज से मैँ स्वतंत्रता की Felling ले रहा हूँ। अरे भाई कल ही तो मेरे PAPERS OF BOARD EXAM का THE END हुआ है। वैसे ending like every flims HAPPY ही थी। वैसे तो I आप लोगोँ को अपनी BOARD कहानी को Produce नहीँ कराना चाहता फिर भी पाठकोँ की बेहद माँग पर I HAVE TO TELL MY BORD BORING STORY. फिलहाल मेरी कहानी मेँ भी SUSPENCE, THRILL, EMOTION, SAD, JOY etc is Totally भरा हुआ है।
हाँ तो from where I have to start? think....

हाँ याद आया! तो CHEMISTRY 1st की तो Mystery सुलझा नहीँ पाया तो Chemistry 2nd मेँ तो मैँनेँ अपनी HISTORY लिख दी। TAKE A BREAK...

Ok, थोड़ा सा EMOTINAL हो गया था। रोना आ रहा है...
बहूहू.........
सुबुक सुबुक ...........
और दुख की बात यह है कि दुख का सिलसिला अभी नहीँ थमा......
अगले PHYSICS 1st के पेपर मेँ अपने दोस्त की ADVISE ना मान कर अपने नये invented सिद्धान्तोँ जो की PAPER के समय तुरन्त खोजे गये थे, से I ने ALL QUESTION SOLVE कर दिये। ok take a comercial brake...
शंखपुष्पी पिओ AND EXAM मेँ खुल के लिखो, लाओ NUMBER झकास,
EXAM मेँ हो जाओ पास।
Ok, brake के बाद आपका स्वागत है। तो यही हाल PHYSICS 2nd का रहा। उसमेँ तो NUMERICALS ही भरे पड़े थे जोकि कोई MIRACALS नहीँ दिखा पाये। जिस कारण I ने अपनी न्यूटन वाला दिमाग लगा कर; नये FORMULE बनाये और सारे numericals हल कर दिये। इस प्रकार मैँने अपनी हारी हुयी जंग जारी रखी। मैँ बस इसी आस मेँ था कि वो सुबह की कोई किरण तो आयेगी जो मेरे काली अन्धेरी विषयोँ पर आशा की किरण से रोशनी तो डालेगी। चलो THANK GOD अगले तीनोँ MATHS के PAPERS अच्छे गये। फिर आयी ENGLISH की बारी जिसने मेरी साख बचा डाली। दोनोँ पेपर गये झकास, शायद करा दे मेरी डूबती नैया पार॥ Oh God! Help me...

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