Wednesday, April 11, 2018

नफरत उनका मेरी ज़िंदगी सी है।

हमनशीं नहीं रह गये अब उनके

कुछ अजनबी सा समझने लगे हैं वो,

उनसे दिल लगा कर खता कर ली थी क्या हमने

जो उनको अब नागवार लगने लगा है,

बातें भी बस वही चंद सी...

कोई नहीं..

जाने बहार जाने ज़िगर

धड़कता होगा शायद तेरा दिल अभी भी कभी मेरा नाम लेकर

उसी धड़कन को हमने अपनी ज़िंदगी बना लिया है।

तेरी अजनबी नज़र में अपना मुखड़ा निहार लिया है।

तुझसे मुहब्बत है मुझे, ये शायद तू भी जानती होगी।

पर न कहूँगा दिल का दर्द तुझसे

ये दर्द ही तो मेरे जीने का सहारा है।