Sunday, June 23, 2013

खुमारी या प्यार..???

दिल के इस गलियारे में उनका आना जाना रहता है,
शान्त रहती हैं ये महफ़िलें फिर भी दिल गुनगुनाया करता है।
आते हैं जब कभी भी वो इस गलियारे में दो टुक बातें हो जाती हैं,
पर दिल की बात बताने में दिल ये जी चुराता है।
जी तो करता है कि आशियाना बना लूं, इस गलियारे में कहीं...
कैद कर लूं  आपको उसी में वहीँ.
पर देख के आज़ाद पंछी सा आपका खुमार
चहेरे पे हरदम हँसी और दिल में प्यार....
छिपा लेते हैं अपने पागलपन को;
लेकिन चोर ये दिल करता रहता है आपसे प्यार.
कहीं दफ़न न हो जाये ये चाहत मेरी
आसूं भी न बहा पाऊं;
झूठी ये दिल की बातें मेरी
कैसे इन्हें छोड़ पाऊँ।
शिद्दत कहीं कमज़ोर है,
कायनात अब बेचारी है
लाख कोशिशें की हमने पर
                                                    न उतरे, प्यार की ये खुमारी है।।

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